लंदन से दिल्ली तक: क्या भारत में CIA के गुप्त अड्डे मौजूद थे?
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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की हत्या से जुड़े हाल ही में जारी किए गए गोपनीय दस्तावेजों ने सनसनीखेज खुलासे किए हैं। इन दस्तावेजों से पता चलता है कि दुनिया भर में सीआईए (CIA) के गुप्त ठिकाने मौजूद थे।

80,000 से अधिक पन्नों के इन दस्तावेजों से यह स्पष्ट हुआ है कि अमेरिका ने यूरोप, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई प्रमुख शहरों में अपनी गुप्त गतिविधियों को अंजाम दिया था।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन शहरों की लिस्ट में भारत के दो बड़े शहर, नई दिल्ली और कोलकाता भी शामिल हैं। यह खुलासा रूसी मीडिया आउटलेट आरटी (RT) द्वारा साझा किए गए एक दस्तावेज से हुआ है।

आरटी द्वारा जारी किए गए दस्तावेज के अनुसार, नई दिल्ली और कोलकाता का नाम सीआईए की NE डिवीजन लिस्ट में शामिल है। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि इन शहरों में सीआईए की गतिविधियां किस हद तक फैली हुई थीं और इनमें कौन-कौन से ऑपरेशन संचालित किए गए थे। यह पहली बार है जब यह जानकारी सार्वजनिक हुई है कि भारत में भी अमेरिकी खुफिया एजेंसी के अड्डे मौजूद हो सकते थे।

इन दस्तावेजों के मुताबिक, सीआईए ने अपनी जासूसी गतिविधियों का एक वैश्विक नेटवर्क स्थापित कर रखा था। इसमें प्रमुख रूप से यूरोप, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के बड़े शहर शामिल थे।

अफ्रीका: जोहान्सबर्ग, लागोस, नैरोबी, प्रिटोरिया, रबत।

यूरोप: बार्सिलोना, बर्लिन, बर्न, बॉन, ब्रुसेल्स, कोपेनहेगन, जेनेवा, द हेग, हैम्बर्ग, हेलसिंकी, लिस्बन, लंदन, मैड्रिड, मिलान, पेरिस, म्यूनिख (यहां लायजन बेस और ऑप्स बेस (लॉरियन) नाम से दो गुप्त ठिकाने थे), ओस्लो, ओटावा, रोम, साल्जबर्ग, स्टॉकहोम, वियना और ज्यूरिख।

एशिया: बैंकॉक, जकार्ता, हांगकांग, होनोलूलू, कुआलालंपुर, कुचिंग, मनीला, ओकिनावा, रंगून, साइगॉन, सियोल, सिंगापुर, ताइपेई, टोक्यो, वियेनतियाने और सुरबाया।

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड: मेलबर्न और वेलिंगटन।

लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र: बोगोटा, ब्रासीलिया, ब्यूनस आयर्स, कराकास, जॉर्जटाउन, ग्वाटेमाला सिटी, ग्वायाकिल, किंग्सटन, लिमा, मेक्सिको सिटी, मोंटेरे, पनामा सिटी, पोर्टो एलेग्रे, पोर्ट-ऑ-प्रिंस, सैंटियागो, साओ पाउलो, सैन जोस, सैन सल्वाडोर, क्विटो, रेसिफे और टेगुसिगाल्पा।

इन दस्तावेजों के सामने आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ये ठिकाने केवल जासूसी अभियानों तक सीमित थे, या फिर अमेरिका इनका इस्तेमाल वैश्विक राजनीति को प्रभावित करने और गुप्त अभियानों को अंजाम देने के लिए कर रहा था?

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