अयोध्या राम मंदिर में नहीं होगा कोई मुख्य पुजारी, चंपत राय के बयान से छिड़ी बहस, डिजिटल बाबा ने रखी मांग
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अयोध्या राम मंदिर में आचार्य सत्येंद्र दास के निधन के बाद अब कोई मुख्य पुजारी नहीं होगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने यह फैसला लिया है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को यह जानकारी दी।

आचार्य सत्येंद्र दास, जो 1 मार्च, 1992 से रामलला के मुख्य पुजारी थे, का 12 फरवरी, 2025 को लखनऊ के पीजीआई में निधन हो गया था। तब से यह पद खाली था।

चंपत राय ने कहा कि छह महीने पहले आचार्य सत्येंद्र दास से इस बारे में पूछा गया था और अब कोई मुख्य पुजारी नहीं होगा। उन्होंने आचार्य सत्येंद्र दास की विद्वता, अनुभव और हनुमानगढ़ी के महंत के रूप में उनके लंबे कार्यकाल का हवाला दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अब जो युवा पुजारी हैं, उनमें से कोई भी आचार्य सत्येंद्र दास जितना विद्वान नहीं है।

चंपत राय के इस बयान पर अब बहस छिड़ गई है। स्वामी राम शंकर उर्फ डिजिटल बाबा ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक महत्वपूर्ण मांग रखी है। उन्होंने कहा कि भारत में विद्वानों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने राम मंदिर के मुख्य पुजारी के लिए एक मापदंड तय करने और योग्यता के आधार पर आवेदन आमंत्रित करने का सुझाव दिया।

डिजिटल बाबा ने यह भी कहा कि इतना बड़ा राम मंदिर केवल कर्मचारियों के भरोसे नहीं चल सकता। उन्होंने कहा कि भारत में चल रहे गुरुकुलों में कई विद्वान दीक्षा लेते हैं, और 5-5 साल के लिए भी मुख्य पुजारी की नियुक्ति की जा सकती है।

आचार्य सत्येंद्र दास एक सादा जीवन जीते थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था और सन्यासी जीवन बिताया। वे अपने वेतन का इस्तेमाल मंदिर और सेवा कार्यों के लिए करते थे। रामलला के मुख्य पुजारी के रूप में उन्हें शुरुआत में केवल 100 रुपये प्रति माह वेतन मिलता था, जो एक सांकेतिक वेतन था।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 2023 में मंदिर के पुजारियों और कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की थी। जिसके बाद आचार्य सत्येंद्र दास को 32 हजार 900 रुपये, सहायक पुजारियों को 31 हजार रुपये और अन्य कर्मचारियों को 24 हजार 440 रुपये दिए जाने लगे थे।

2023 और 2024 में ट्रस्ट ने पुजारियों की भर्ती का आयोजन किया था, जिसके लिए देश भर से 3 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 20 पुजारियों का चयन किया गया था, लेकिन उनमें से किसी को भी मुख्य पुजारी नहीं बनाया गया।

मुख्य पुजारी मंदिर के सभी धार्मिक अनुष्ठानों, पूजाओं और त्योहारों का नेतृत्व करते हैं और भक्तों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन करते हैं। ट्रस्ट के इस फैसले से अब इन कार्यों को कैसे संचालित किया जाएगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

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