ट्रैक पर नहीं, हवा में उड़ेगी ट्रेन! मिनटों में होगा घंटों का सफर
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आईआईटी मद्रास ने हाइपरलूप तकनीक का विकास किया है, जिससे ट्रेनों की गति कई गुना बढ़ जाएगी। आईआईटी मद्रास में यंग इंजीनियरों की एक टीम को रेलवे और इंडस्ट्री का पूरा समर्थन मिल रहा है। इस नई तकनीक के परीक्षण के लिए लगभग 400 मीटर लंबा हाइपरलूप बनाया गया है।

इस हाइपरलूप में, ट्रेन चलते समय वैक्यूम बनता है और मैग्नेटिक लैविटेशन की मदद से ट्रेन ट्रैक पर चलने की बजाय उसके ऊपर उठकर चलने लगती है। यह प्रोजेक्ट अभी ट्रायल स्टेज में है और ट्रायल के बाद इसका विस्तार किया जाएगा। इस परियोजना को रेलवे, इंडस्ट्री और सरकार का पूरा समर्थन मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस प्रोजेक्ट को समर्थन दिया है।

आईआईटी मद्रास में शिक्षा मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय, उद्योग जगत और अन्य संस्थानों की मदद से इस बड़े प्रयोग को अंजाम दिया जा रहा है। अगला कदम ट्रैक के अंदर के स्ट्रक्चरल सेटअप को ठीक करके हाइपरलूप को प्रभावी ढंग से चलाना है। वंदे भारत और अन्य ट्रेनों में उपयोग की जाने वाली उच्च गुणवत्ता की इलेक्ट्रॉनिक्स तकनीक का इस्तेमाल हाइपरलूप के लिए भी किया जाएगा।

शुरुआत में हाइपरलूप ट्रेन का इस्तेमाल मालगाड़ी/ट्रांसपोर्ट ट्रेन के तौर पर किया जाएगा। सभी परीक्षणों के बाद इसे यात्रियों के लिए उपयोग में लाया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाइपरलूप प्रोजेक्ट के काम करने के तरीके को समझाया। उन्होंने कहा कि हाइपरलूप एक ट्यूब जैसा होगा, जिसके अंदर वैक्यूम होगा और पॉड लिविटेशन मोड में ऑपरेट करेगा। लिविटेशन मोड का मतलब बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें मैग्नेटिक फील्ड्स होंगी, जो पॉड को ट्रैक से ऊपर उठा देंगी। पॉड सीधे ट्रैक पर नहीं चलेगा, बल्कि ऊपर उठकर आगे बढ़ेगा। यही हाइपरलूप का सिद्धांत है।

मंत्री ने पॉड को ट्रांसपोर्टिंग मैकेनिज्म और ट्यूब को ट्रांसपोर्टेशन मीडियम बताया। उन्होंने कहा कि आईआईटी मद्रास में चल रहा हाइपरलूप प्रोजेक्ट अभी प्रयोग के स्तर पर है, लेकिन इसके अब तक के नतीजे काफी सकारात्मक हैं। उन्होंने कहा कि शायद कुछ सालों में हमारे पास इसका एक अच्छा वर्किंग मॉडल होगा।

उन्होंने यह भी बताया कि हाइपरलूप की पूरी इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणाली चेन्नई स्थित इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री (ICF) में तैयार की जाएगी। ICF चेन्नई के पास एक मजबूत इलेक्ट्रॉनिक्स टीम है, जो वंदे भारत और अन्य ट्रेन सेट्स के लिए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विकसित कर रही है। इसलिए वे इस पॉड के लिए छोटे, लेकिन अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन करने में सक्षम हैं।

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