लोकसभा में बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के एक बयान को लेकर हंगामा हुआ। DMK और कांग्रेस के सांसदों ने इस बयान का भारी विरोध जताया।
विपक्षी सांसदों की नाराजगी के बाद केंद्रीय मंत्री ने अपना बयान वापस ले लिया और उसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया। लेकिन अब DMK सांसद ने धर्मेंद्र प्रधान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।
द्रविड़ मुनेत्र कडगम (DMK) की सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने लोकसभा में धर्मेंद्र प्रधान के तीन बयानों पर नोटिस दिया है।
नोटिस के अनुसार, धर्मेंद्र प्रधान ने सदन में कहा कि तमिलनाडु सरकार ने शुरू में पीएम-श्री योजना को स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने पर रजामंदी जताई थी, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने अपना फैसला बदल दिया, जो तथ्यात्मक रूप से गलत है। उनका यह बयान सदन को गुमराह करता है और आधिकारिक रिकॉर्ड के खिलाफ भी है।
नोटिस में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्री ने अपने भाषण में कहा, प्रश्न उठाने वाले माननीय सदस्य (यानी मैं खुद) और तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री सहित DMK सांसदों ने उनसे मुलाकात की और शुरू में पीएम-श्री योजना को लेकर सहमत हो गए थे, लेकिन बाद में अपना रुख बदल दिया। DMK सांसद के अनुसार केंद्रीय मंत्री का यह बयान पूरी तरह से निराधार है और इसे झूठा जानते हुए भी उन्होंने सदन और लोगों को गुमराह करने की कोशिश की, साथ ही तमिलनाडु की छवि को भी खराब करने का प्रयास किया।
DMK सांसद कनिमोझी की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया कि केंद्रीय मंत्री ने उनके और DMK तथा अन्य सहयोगी दलों के संसदीय सहयोगियों के खिलाफ भ्रामक , बेइमान , अलोकतांत्रिक और असभ्य जैसी असंयमित टिप्पणियां कीं। उन्होंने तमिलनाडु के निर्वाचित प्रतिनिधियों के एक पूरे समूह के खिलाफ निराधार आरोप भी लगाए।
नोटिस के अनुसार, केंद्रीय मंत्री प्रधान की ओर से दिए गए उक्त बयान संसद सदस्यों पर कटाक्ष और आक्षेप है। कनिमोझी का कहना है कि उनकी टिप्पणी उनकी और साथ ही DMK सांसदों और उनके सहयोगियों की गरिमा तथा निष्ठा को भी ठेस पहुंचाती है, जिससे संसदीय विशेषाधिकारों और अधिकारों का उल्लंघन होता है। उनकी ओर से की गई टिप्पणी दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक है, साथ ही राजनीतिक और लैंगिक अधिकारों का उल्लंघन भी है।
उधर, कार्यवाही के दौरान DMK नेता कनिमोझी की तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी से तीखी नोकझोंक हो गई। कल्याण जब वोटर लिस्ट की कथित विसंगतियों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के कार्यान्वयन से जुड़े अपने मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रहे थे तो कनिमोझी सहित DMK के कई सांसदों ने विरोध करते हुए मांग की कि उनकी पार्टी की सांसद सुमति को एनईपी, 2020 और इसके 3-भाषा फॉर्मूले के कार्यान्वयन पर उनकी बात रखने की अनुमति दी जाए।
DMK MP Kanimozhi moves Notice for Breach of Parliamentary Privilege against Union Education Minister and BJP MP Dharmendra Pradhan over his remark in the Parliament on the three language issue. pic.twitter.com/XT3LiSVXRK
— ANI (@ANI) March 10, 2025
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