मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू इलाके में जामा मस्जिद के सामने क्रिकेट फैंस पर हुए पथराव के बाद इलाके में तनाव है। मस्जिद से निकली भीड़ ने कथित तौर पर फैंस को रोककर उन पर पत्थर बरसाए, जिसके बाद आगजनी और गाड़ियों में तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं।
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। कुछ लोग हिंदुओं को हिंसा का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, उनका कहना है कि उन्होंने मुस्लिम इलाके में पटाखे जलाए और धार्मिक नारे लगाए, जिससे बवाल हुआ।
लेकिन जामा मस्जिद के इमाम ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में सच्चाई बताते हुए कहा कि हिंसा की शुरुआत मुस्लिमों ने की थी। उन्होंने स्वीकार किया कि मुस्लिमों ने हिंदुओं को पीटने की कोशिश की थी।
9 मार्च 2025 को, जैसे ही भारतीय क्रिकेट टीम के फैंस चैंपियंस ट्रॉफी का जश्न मनाने जामा मस्जिद रोड पर पहुंचे, वहां बवाल हो गया। वायरल वीडियो में पत्थरबाजी के दौरान अल्लाह-हू-अकबर और नारा-ए-तकबीर जैसे नारे सुनाई दे रहे हैं। इसके बाद पथराव दूसरे इलाकों में भी फैल गया।
दंगे में कई जगहों पर आग लगाई गई और गाड़ियाँ जला दी गईं। एक मंदिर के पास पथराव की भी खबर है। हिंसा में 4 लोग घायल हुए हैं, जिनका इलाज चल रहा है।
पुलिस ने बताया कि वह वीडियो और अन्य माध्यमों से आरोपियों की पहचान कर रही है। अब तक 13 लोगों को हिरासत में लिया गया है। प्रशासन ने इलाके में शांति बहाल करने का दावा किया है और महू में सेना भी तैनात की गई है। हिंदू संगठनों ने घटना के विरोध में बंद का ऐलान किया है।
घटना के बाद सोशल मीडिया पर कई इस्लामी कट्टरपंथी सक्रिय हो गए और उन्होंने मुस्लिमों को पीड़ित दिखाने का प्रयास शुरू कर दिया। दिल्ली दंगों के दौरान हिंदुओं के खिलाफ हमले की योजना बनाने वाले शरजील इमाम के साथी आसिफ मुजतबा ने भी दावा किया कि भारत की जीत का जश्न मनाते हुए मस्जिद के बाहर धार्मिक नारेबाजी हुई, जिससे हिंसा भड़की।
हेट डिटेक्टर नाम के एक हैंडल ने दावा किया कि हिंदुओं ने मुस्लिमों की नमाज में दखल दी, पटाखे जलाए और अपमानजनक नारेबाजी की, जिसके कारण हमला हुआ।
हालांकि, मस्जिद के इमाम के बयान से साफ है कि हिंसा मुस्लिमों की ओर से शुरू हुई थी।
यह पहली बार नहीं है कि हिंसा करने के बाद मुस्लिमों ने उसे जायज ठहराने की कोशिश की है। कुछ दिन पहले ही बहराइच में रामगोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई थी, क्योंकि उन्होंने एक मुस्लिम घर पर झंडा लगाने की कोशिश की थी। इसके बाद रामगोपाल को ही हिंसक और मुस्लिमों को पीड़ित बताया गया था। महू के मामले में भी मस्जिद से हमला हुआ, लेकिन मुस्लिम बचाव में जुटे हुए हैं।
*Even celebrations have become a tool for demeaning Muslims , resorting to violence and destruction of Muslim properties. In #Mhow in indore, a crowd celebrating India’s victory resorted to communal sloganeering outside a mosque, resulting into arson & violence.#Mhow #Indore pic.twitter.com/fYU7aTR91s
— Aasif Mujtaba (@MujtabaAasif) March 9, 2025
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