मिर्चपुर की घटना
19 अप्रैल, 2010 को हरियाणा के मिर्चपुर में एक कुत्ते के भौंकने को लेकर दलित और जाट समुदाय के बीच विवाद हिंसा में बदल गया। अगले दिन, जाटों की एक बड़ी भीड़ ने दलित बस्ती पर हमला कर दिया और घरों को आग लगा दी। दो निर्दोष दलितों, तारा चंद और उनकी विकलांग बेटी सुमन की जिंदा जलकर मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हुए।
हिंसा के बाद का मंजर
इस घटना के बाद, राज्य सरकार की राहत और पुनर्वास की कोशिशों के बावजूद, हिंसा को रोकने में नाकामी सामने आई। मिर्चपुर की घटना ने एक बार फिर जातिवाद की गहरी जड़ों को उजागर किया।
दलितों के खिलाफ हिंसा की सच्चाई
मिर्चपुर की घटना ने दलितों के खिलाफ हिंसा की एक गंभीर तस्वीर पेश की। यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि दलितों के खिलाफ हिंसा सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना नहीं है, बल्कि समाज में गहरे दबे हुए जातिवाद का परिणाम है।
*मिर्चपुर दलित हत्याकांड:
— Tarun Jatav (@tarunjatav50) January 6, 2025
मिर्चपुर की घटना 19 अप्रैल, 2010 की रात को एक कुत्ते के भौंकने को लेकर दलित और जाट समुदाय के सदस्यों के बीच हुए विवाद से शुरू हुई थी।
अगले दिन, प्रमुख जाट समुदाय के 200 लोगों की एक गुस्साई भीड़ दलित बस्ती में आई और घरों को आग के हवाले कर दिया। दलित… pic.twitter.com/QyVQtosKLf
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