धार्मिक संस्कृति को बचाने के लिए अधिनियम को पुनर्जीवित करने की तैयारी
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम को राज्य में लागू करने का संकेत दिया है। यह कानून 1978 में बनाया गया था लेकिन अब तक लागू नहीं किया गया है। इसका उद्देश्य जबरन या लालच से किए जाने वाले धर्मांतरण को रोकना है।
ईसाई मिशनरियों के कारण बना था कानून
जब यह कानून बना था, तब अरुणाचल प्रदेश में ईसाई मिशनरियाँ सक्रिय थीं और बड़े पैमाने पर लोगों को ईसाई बनाने की कोशिश कर रही थीं। इसे रोकने के लिए ही अरुणाचल प्रदेश में यह कानून बनाया गया था।
47 साल बाद होगा कानून लागू
हालांकि, कानून के लागू नहीं होने से जबरन धर्मांतरण जारी रहा। साल 2018 में, खांडू ने कानून को निरस्त करने की बात कही थी, लेकिन अब उन्होंने इसे लागू करने का फैसला किया है।
हाई कोर्ट का आदेश
ताम्बो तामिन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए गुवाहाटी हाई कोर्ट की ईटानगर पीठ ने राज्य सरकार को छह महीने के भीतर नियमों को अंतिम रूप देने का आदेश दिया था। खांडू का यह बयान इसी आदेश के अनुपालन के तौर पर देखा जा रहा है।
Indigenous faiths have been an integral part of humanity since time immemorial, even before the advent of organized religions. I am delighted to announce that the Department of Indigenous Affairs will now be renamed to include the words Indigenous Faith and Culture, a step… pic.twitter.com/TfIoeF54dh
— Pema Khandu པདྨ་མཁའ་འགྲོ་། (@PemaKhanduBJP) December 27, 2024
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