दिवाली का त्योहार खुशियों का प्रतीक है, लेकिन दिल्ली में यह वायु प्रदूषण की चेतावनी भी है। पटाखों और आतिशबाजी से हवा में हानिकारक कण बढ़ जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, दिवाली के दौरान दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अक्सर बहुत खराब या गंभीर श्रेणी में पहुंच जाता है।
सरकार और पर्यावरण संस्थान विभिन्न उपाय कर रहे हैं, जिनमें से एक है कृत्रिम बारिश, जिसे क्लाउड सीडिंग भी कहते हैं। आइये जानते हैं कि क्लाउड सीडिंग क्या है और इसका इतिहास क्या रहा है।
क्लाउड सीडिंग एक प्रक्रिया है जिसमें बादलों में विशेष यौगिक छोड़े जाते हैं ताकि बारिश हो सके। इसमें सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड जैसे तत्वों का इस्तेमाल होता है। ये कण बादलों के भीतर नाभिक का काम करते हैं और पानी की बूंदों को बनने में मदद करते हैं। यह तकनीक उन क्षेत्रों में बहुत उपयोगी है जहां बारिश कम होती है या सूखा पड़ता है।
दिल्ली जैसे शहरों में क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल वायु प्रदूषण कम करने के लिए भी किया जाता है। जब कृत्रिम बारिश होती है, तो हवा में मौजूद हानिकारक कण धूल और प्रदूषण पानी के साथ जमीन पर गिर जाते हैं, जिससे हवा कुछ हद तक साफ होती है।
दिल्ली में पहली बार क्लाउड सीडिंग का प्रयोग 1957 में मानसून के दौरान किया गया था। हाल के वर्षों में सर्दियों के मौसम में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने क्लाउड सीडिंग के माध्यम से प्रदूषण घटाने की दिशा में एक और प्रयास शुरू किया है।
1971-72 में कृत्रिम बारिश से जुड़े परीक्षण राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला परिसर में किए गए थे। इसमें मध्य दिल्ली के लगभग 25 किलोमीटर क्षेत्र को शामिल किया गया था। जमीन पर रखे गए जनरेटर से आसमान में सिल्वर आयोडाइड के कण छोड़े गए, जिन्होंने छोटे नाभिक के रूप में कार्य किया।
दिसंबर 1971 से मार्च 1972 के बीच 22 दिन कृत्रिम वर्षा के लिए अनुकूल माने गए। इनमें से 11 दिन क्लाउड सीडिंग के लिए इस्तेमाल किए गए, जबकि 11 दिन नियंत्रण दिवस के रूप में रखे गए।
करीब 53 साल बाद दिल्ली में इस तकनीक का फिर से परीक्षण किया गया। बुराड़ी क्षेत्र में परीक्षण के दौरान सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड के कण विमान से आकाश में छोड़े गए। हालांकि, हवा में नमी कम होने की वजह से बारिश नहीं हो पाई।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर ने रिपोर्ट में बताया कि यह उड़ान क्लाउड सीडिंग के लिए जरूरी तकनीकी क्षमताओं का मूल्यांकन करने के लिए थी।
पूरी दुनिया में क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल होता है। ऑस्ट्रेलिया, चीन, रूस, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका जैसे 56 से अधिक देशों में वर्षा बढ़ाने, मौसम नियंत्रित करने और वायु प्रदूषण कम करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
*Delhi CM Rekha Gupta tweets, Preparations have been completed for the first time in Delhi to induce artificial rain through cloud seeding. Today, experts have successfully tested it in the Burari area. The weather department has indicated the possibility of cloud presence on… pic.twitter.com/u7kNYGyoas
— ANI (@ANI) October 23, 2025
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