ECI की एडवाइजरी: AI कंटेंट पर अब साफ लेबलिंग जरूरी
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चुनाव आयोग (ECI) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बने कंटेंट और गलत जानकारी के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए एक सख्त एडवाइजरी जारी की है। यह एडवाइजरी सभी नेशनल और राज्य-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों के लिए है।

इसका उद्देश्य चुनाव कैंपेन में इस्तेमाल होने वाले AI से बदले गए इमेज, ऑडियो और वीडियो पर साफ लेबल लगाना और उन्हें तुरंत हटाना है। ECI ने यह निर्देश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया है।

यह कदम ऐसे हाइपर-रियलिस्टिक सिंथेटिक मीडिया को लेकर उठी चिंताओं के बीच आया है, जो राजनीतिक नेताओं को मनगढ़ंत और चुनावी तौर पर संवेदनशील मैसेज देते हुए दिखा सकता है, जिससे चुनावी मैदान में समानता (level playing field) खराब हो सकती है और वोटर्स का भरोसा कम हो सकता है।

चुनाव आयोग का मानना है कि ऐसा नकली AI-जेनरेटेड कंटेंट सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए निष्पक्ष और समान माहौल को बिगाड़ता है, जो चुनावों के दौरान राजनीतिक कैंपेन की ईमानदारी बनाए रखने के लिए जरूरी है।

एडवाइजरी के अनुसार, जानकारी बनाने, बदलने, और उसमें हेरफेर करने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल एक बड़ा खतरा है। सिंथेटिक रूप से जेनरेट की गई जानकारी सच होने का दिखावा कर अनजाने में राजनीतिक हितधारकों को गलत नतीजों में फंसा सकती है। इसलिए, चुनाव आयोग चुनावी ईमानदारी और वोटर का भरोसा बनाए रखने के लिए ट्रांसपेरेंसी और जवाबदेही सुनिश्चित करना चाहता है।

यह नया कदम संविधान के आर्टिकल 324 के तहत ECI की पूरी शक्तियों का इस्तेमाल करता है, जो इसे चुनावी प्रक्रियाओं पर सुपरविजन, डायरेक्शन और कंट्रोल का अधिकार देता है। यह 6 मई, 2024 और 16 जनवरी, 2025 को जारी की गई पिछली गाइडलाइंस पर आधारित है, जिसमें पार्टियों द्वारा सोशल मीडिया के सही इस्तेमाल और सिंथेटिक कंटेंट की लेबलिंग के बारे में बताया गया था।

कमीशन ने इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 के तहत जिम्मेदारियों को भी दोहराया, और निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावी माहौल सुनिश्चित करने के लिए उनका सख्ती से पालन करने की अपील की।

राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए ECI ने पांच मुख्य निर्देश जारी किए हैं, जो तुरंत लागू होंगे:

  1. अनिवार्य लेबलिंग: सभी सिंथेटिक रूप से बनाए गए या AI से बदले गए कैंपेन मटीरियल पर एक साफ, प्रमुख और पढ़ने लायक लेबल होना चाहिए, जैसे AI-जेनरेटेड, डिजिटली एन्हांस्ड, या सिंथेटिक कंटेंट। यह लेबल डिस्प्ले एरिया के कम से कम 20% हिस्से (या ऑडियो के लिए शुरुआती 10% समय) को कवर करे। वीडियो के लिए, लेबल स्क्रीन के ऊपरी आधे हिस्से पर दिखना चाहिए।

  2. ओरिजिन का खुलासा: कंटेंट बनाने वालों को मेटाडेटा या साथ में दिए गए कैप्शन में ज़िम्मेदार एंटिटी का नाम साफ़ तौर पर बताना होगा।

  3. धोखाधड़ी वाले कंटेंट के इस्तेमाल पर रोक: पार्टियों को ऐसा कोई भी कंटेंट पब्लिश करने या फॉरवर्ड करने से रोका गया है जो किसी व्यक्ति की पहचान, रूप या आवाज को उस व्यक्ति की सहमति के बिना गैर-कानूनी तरीके से गलत दिखाता है, अगर इससे वोटर्स को गुमराह करने या धोखा देने का खतरा हो।

  4. उल्लंघनों पर तुरंत कार्रवाई: अगर पॉलिटिकल पार्टियों के ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट्स पर AI से बनी या बदली हुई इमेज, ऑडियो, वीडियो, गलत जानकारी या मैनिपुलेटेड कंटेंट मिलता है या रिपोर्ट किया जाता है, तो उसे तीन घंटे के अंदर हटा देना होगा। एडवाइजरी में चेतावनी दी गई है कि जो पार्टियां इसका पालन नहीं करेंगी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

  5. रिकॉर्ड रखना: पॉलिटिकल एंटिटीज को AI-जनरेटेड मटीरियल का डिटेल में इंटरनल रिकॉर्ड रखना होगा, जिसमें बनाने वाले की जानकारी और टाइमस्टैम्प शामिल हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर ECI वेरिफिकेशन किया जा सके।

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