रूस पर अमेरिका का सैंक्शन बम : तेल कंपनियों पर प्रतिबंध, EU भी सख्त
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अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इसका उद्देश्य रूस की युद्ध फंडिंग को रोकना और यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए दबाव बढ़ाना है। अमेरिका का कहना है कि जब तक रूस शांति वार्ता के लिए गंभीर नहीं होगा, ये प्रतिबंध जारी रहेंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे बेहद कड़े आर्थिक प्रतिबंध बताया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे युद्ध खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि रूस को उसी लाइन पर वापस लौट जाना चाहिए, जहां से यह संघर्ष शुरू हुआ था, और अब इसे खत्म होना चाहिए। ट्रंप ने यह भी बताया कि पिछले हफ्ते ही करीब 8,000 सैनिक मारे गए, जिनमें रूसी और यूक्रेनी दोनों शामिल थे।

अमेरिकी वित्त मंत्रालय के विभाग विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) ने कहा कि रूस शांति प्रक्रिया में गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है। इसलिए, अमेरिका ने रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर नया दबाव बनाया है ताकि उसकी युद्ध मशीन को चलाने के लिए होने वाली कमाई पर रोक लग सके। विभाग ने स्पष्ट किया कि स्थायी शांति तभी संभव है जब रूस ईमानदारी से बातचीत करे।

ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा कि अब रूस के खिलाफ कार्रवाई की रफ्तार तेज होगी और यह युद्ध रोकने और तुरंत संघर्ष विराम लागू करने का समय है। उन्होंने कहा कि ये प्रतिबंध राष्ट्रपति ट्रंप की व्यापक कोशिश का हिस्सा हैं ताकि यूक्रेन युद्ध को कूटनीतिक तरीके से खत्म किया जा सके।

नए नियमों के तहत रोसनेफ्ट और लुकोइल दोनों को रूस के ऊर्जा सेक्टर में संचालन या सहयोग करने के कारण प्रतिबंधित कंपनियों की सूची में डाला गया है। अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में इन कंपनियों की संपत्ति को फ्रीज कर दिया गया है। रोसनेफ्ट एक सरकारी कंपनी है, जबकि लुकोइल एक निजी कंपनी है।

इन दोनों की कई सहायक कंपनियों पर भी रोक लगा दी गई है। जिन संस्थाओं में इन कंपनियों की 50 फीसदी या उससे ज़्यादा हिस्सेदारी है, वे भी प्रतिबंध के दायरे में आ गई हैं। अब अमेरिकी नागरिक या कंपनियां उनसे कोई आर्थिक लेन-देन नहीं कर पाएंगी। ट्रेजरी ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी, तो यह अभियान और आगे बढ़ाया जाएगा।

अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों से भी इन नए प्रतिबंधों में शामिल होने की अपील की है।

इसी बीच, यूरोपीय यूनियन (EU) ने रूस पर अपना 19वां सैंक्शन पैकेज पास किया है। इस बार EU ने पहली बार सीधे रूसी LNG (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) पर प्रतिबंध लगाया है। शॉर्ट-टर्म गैस कॉन्ट्रैक्ट 6 महीनों में, और लॉन्ग-टर्म समझौते 1 जनवरी 2027 तक पूरी तरह बंद हो जाएंगे। रूस के 117 और जहाजों को शैडो फ्लीट की सूची में जोड़ा गया है, जिससे अब कुल 558 जहाज प्रतिबंधित हैं। रूस के करीबी देशों - कजाखस्तान और बेलारूस के कई बैंकों को भी सूची में शामिल किया गया है क्योंकि वे रूस को सैंक्शन से बचने में मदद कर रहे थे।

इन कदमों के जरिए अमेरिका और EU रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ा रहे हैं ताकि उसकी युद्ध क्षमता कम हो। उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत के दरवाजे खुले हैं, लेकिन शांति का रास्ता तभी बनेगा जब रूस युद्ध रोकने की दिशा में सच्चे मन से कदम उठाएगा।

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