IND vs AUS: प्रदर्शन बार-बार, फिर भी नज़रअंदाज़! कुलदीप यादव पर्थ वनडे में क्यों नहीं?
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भारतीय स्पिनर कुलदीप यादव को एक बार फिर प्लेइंग XI से बाहर कर दिया गया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में खेले गए पहले वनडे में वह बेंच पर ही बैठे रहे.

बाएं हाथ के इस चाइनामैन गेंदबाज को दिल्ली में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए टेस्ट में प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था. इसके बावजूद ऑप्टस स्टेडियम में वो सिर्फ ड्रेसिंग रूम तक ही सीमित रहे, जबकि टीम इंडिया मेजबानों के खिलाफ बिखर गई.

कुलदीप के साथ यह कहानी नई नहीं है. हर बार जब भी उन्होंने मौके पर बेहतरीन प्रदर्शन किया, अगली सीरीज या अगले मैच में उन्हें बाहर बैठा दिया गया.

कानपुर के इस स्पिनर को भारतीय टीम के साथ जुड़े हुए अब आठ साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन उन्होंने अब तक केवल 113 वनडे, 15 टेस्ट और 47 टी20 इंटरनेशनल मैच ही खेले हैं. उनके प्रदर्शन को देखते हुए यह संख्या कम लगती है.

टी20 टीम में उनकी मौजूदगी अब सीमित हो चुकी है, जबकि वनडे और टेस्ट स्क्वॉड में उनका नाम शामिल जरूर रहता है. लेकिन मैदान पर उतरने के मौके, खासकर विदेशी दौरों पर, बहुत कम मिले हैं.

पूर्व भारतीय ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने कुलदीप के साथ हो रहे इस व्यवहार पर कड़ी आलोचना की है. अश्विन ने पूछा कि आखिर कितनी देर तक कुलदीप मुस्कुराहट ओढ़े रहेंगे? उनका कहना था कि लगातार टीम में रखकर भी खिलाया न जाना किसी खिलाड़ी का आत्मविश्वास तोड़ देता है.

अश्विन ने कहा, कभी न कभी कुलदीप ये सोच सकते हैं- क्या मैं टीम की हार की वजह हूं? मैं अच्छा खेल रहा हूं, फिर भी मुझे क्यों नहीं खिलाया जा रहा? यह बहुत तोड़ने वाला एहसास है. हर खिलाड़ी इसे झेल नहीं पाता. कई बार इससे खिलाड़ी की लड़ने की इच्छा खत्म हो जाती है.

उन्होंने टीम कॉम्बिनेशन पर भी सवाल उठाए- खासकर नीतीश रेड्डी को तीसरे तेज गेंदबाज के रूप में शामिल करने के बावजूद कुलदीप को बाहर रखने के फैसले पर. अश्विन ने कहा, जब नीतीश पहले से टीम में हैं, तो फिर अपने सबसे अच्छे स्पिनर को क्यों नहीं खिलाया जा सकता? यह समझ से परे है.

हाल ही में खेले गए एशिया कप 2025 में कुलदीप टूर्नामेंट के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे. उन्होंने 17 विकेट अपने नाम किए.

मौजूदा सीरीज के पहले वनडे में भी कुलदीप की जगह वॉशिंगटन सुंदर को खिलाया गया, जैसा कि इंग्लैंड दौरे पर भी हुआ था. बताया जा रहा है कि मुख्य कोच गौतम गंभीर सुंदर को उनकी ऑलराउंड क्षमता, यानी बल्लेबाजी योगदान के कारण तरजीह दे रहे हैं.

हालांकि, सुंदर की मौजूदगी के अपने सीमित फायदे हैं. वह रन रोकने वाले गेंदबाज जरूर हैं, लेकिन सतत विकेट लेने वाले गेंदबाज नहीं माने जाते. उनका रोल ज्यादा कंट्रोल और प्रेशर बिल्ड करने का होता है, न कि मैच पलटने का.

जैसे-जैसे भारत बाकी सीरीज की तैयारी कर रहा है, कुलदीप यादव को लेकर टीम मैनेजमेंट की रणनीति पर सवाल और गहरे होते जा रहे हैं. एक ऐसे खिलाड़ी के लिए, जिसने हर बार मौका मिलने पर प्रदर्शन से टीम को फायदा पहुंचाया, बार-बार बाहर बैठना सिर्फ सेलेक्शन पर ही नहीं, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि भारत अपने मैच-विनर्स का आत्मविश्वास कैसे संभालता है.

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