अयोध्या में इतिहास रचता दीपोत्सव: 28 लाख दीपों से जगमगाई रामनगरी, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
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अयोध्या एक बार फिर दिव्यता और भक्ति में डूबी नज़र आई। नौवें दीपोत्सव पर सरयू तट के 56 घाट लाखों दीपों की रोशनी से जगमगा उठे।

इस बार दीपोत्सव ने नया इतिहास रचा। राम की पैड़ी सहित पूरे सरयू तट पर 28 लाख से अधिक दीप जलाए गए, जिनमें से 26 लाख 11 हजार 101 दीपों को एक साथ प्रज्ज्वलित कर विश्व रिकॉर्ड बनाया गया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की टीम इस ऐतिहासिक क्षण की गवाह बनी।

लाखों दीपों के एक साथ जलने से पूरी अयोध्या सुनहरी रोशनी से नहा उठी।

दीपोत्सव के मुख्य समारोह से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या पहुंचे। उन्होंने पुष्पक विमान जैसे हेलीकॉप्टर से राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के स्वरूपों की अगवानी की। हेलीपैड से रामकथा पार्क तक पुष्प वर्षा हुई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच पर श्रीराम का राजतिलक किया। रामकथा पार्क जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा। उन्होंने श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और गुरु वशिष्ठ को तिलक कर माल्यार्पण और आरती की।

राज्याभिषेक समारोह के साथ-साथ राम जानकी वंदना और भरत मिलाप का भी भव्य मंचन हुआ।

रामकथा पार्क में श्रीराम राज्याभिषेक का दृश्य जीवंत हुआ, वहीं सरयू तट पर दीपों की श्रृंखला अनंत तक फैली नजर आई। हर घाट, हर दीया, भगवान राम के आगमन का स्वागत कर रहा था। राम की पैड़ी और आसपास के घाटों को फूलों और रांगोली से सजाया गया था।

राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 32,000 स्वयंसेवकों ने 15 मिनट के भीतर 28 लाख दीपों को प्रज्ज्वलित किया।

गिनीज टीम ने 26 लाख 11 हजार 101 दीपों के जलने का रिकॉर्ड दर्ज किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम की पैड़ी पर मां सरयू की आरती उतारी। हजारों श्रद्धालु आरती में सम्मिलित हुए।

दीप प्रज्ज्वलन के बाद लेजर एंड लाइट शो में भगवान श्रीराम के जीवन, वनवास, रावण वध और अयोध्या वापसी की कथा को दर्शाया गया।

दीपोत्सव के दौरान पूरे अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपोत्सव के बाद श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पहुंचकर रामलला के दर्शन किए। उन्होंने कहा कि यह दीपोत्सव रामराज्य की संकल्पना का प्रतीक है।

अयोध्या की गलियां, घर, मंदिर और महल दीपमालाओं से सजे रहे। दुकानों, सड़कों और भवनों को रंगीन झालरों से सजाया गया।

इस वर्ष का दीपोत्सव पर्यावरण अनुकूल था। सभी दीप मिट्टी के थे, और प्रशासन ने लोगों से प्लास्टिक या रासायनिक सजावट का उपयोग न करने की अपील की।

नौवें दीपोत्सव ने विश्व को संदेश दिया कि जहां राम का नाम है, वहां प्रकाश है। सरयू तट से उठती दीपों की लहरें आस्था, एकता और शांति का प्रतीक थीं।

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