किसानों की काली दिवाली: शरद पवार गुट ने सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप, किया एक दिवसीय अनशन
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महाराष्ट्र में विपक्षी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) का कहना है कि राज्य में बारिश और बाढ़ से फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिसके कारण किसानों के लिए यह दिवाली काली दिवाली होगी। उन्होंने भ्रष्ट महायुति सरकार पर किसानों को बेहद मामूली सहायता देने और झूठे वादे करने का आरोप लगाया है।

एनसीपी (शरदचंद्र पवार) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष शशिकांत शिंदे ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने झूठे आश्वासनों से किसानों की उम्मीदों को तोड़ा है और बाढ़ तथा बारिश से प्रभावित लोगों को इस साल काली दिवाली मनाने के लिए मजबूर किया है।

शिंदे ने कहा कि सत्ता के नशे में चूर महायुति गठबंधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने और शासकों को किसानों की दुर्दशा से अवगत कराने के लिए शरद पवार गुट के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने हर जिले में कलेक्टर कार्यालय के बाहर दिनभर की भूख हड़ताल की।

शिंदे ने पश्चिमी महाराष्ट्र के सातारा जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल में भाग लिया। उन्होंने कहा कि राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य किसानों की उपेक्षा के लिए महायुति सरकार की निंदा करना था।

कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों के लिए 31,000 करोड़ रुपये से अधिक के राहत पैकेज की घोषणा की है, लेकिन वास्तविक राहत 1,800 करोड़ रुपये तक ही सीमित है।

वडेट्टीवार ने दावा किया कि इसका मतलब है कि प्रति हेक्टेयर केवल 10,000 रुपये की सहायता राशि निर्धारित की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने बड़े राहत पैकेज का वादा करने के बाद मामूली वित्तीय सहायता देकर किसानों के साथ विश्वासघात किया है।

उन्होंने कृषि उपज मंडी समितियों (एपीएमसी) को राज्य के विपणन मंत्री के सीधे नियंत्रण में रखने के सरकार के फैसले की भी आलोचना की। वडेट्टीवार ने कहा कि इस कदम से मंत्री व्यवस्था का फायदा उठा सकेंगे।

ठाणे जिला कलेक्ट्रेट के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसका नेतृत्व राकांपा (शरदचंद्र) के जिला अध्यक्ष मनोज प्रधान ने पार्टी महासचिव जितेंद्र आव्हाड के मार्गदर्शन में किया। प्रदर्शनकारियों ने काले कपड़े पहनकर महायुति सरकार के खिलाफ नारे लगाए और उस पर झूठे वादे करने का आरोप लगाया।

प्रधान ने कहा कि राहत पैकेज के नाम पर सरकार ने बारिश से प्रभावित किसानों को धोखा दिया है। दिवाली पर जिस सहायता का वादा किया गया था, वह राशि भी नहीं मिली है। कर्ज माफी को लेकर भी एक शब्द नहीं कहा गया है।

विपक्षी दलों का कहना है कि सोयाबीन, अरहर, कपास, गन्ना, मूंग और उड़द जैसी फसलें नष्ट हो गईं और बाढ़ में पशुधन की भी हानि हुई, लेकिन नुकसान का सर्वेक्षण लंबित है और कोई उचित मुआवजा नहीं दिया गया है।

राकांपा (शरदचंद्र) ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार अपने वादों पर अमल नहीं करती है तो वह उग्र आंदोलन करेगी।

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