KBC में बच्चे के टोन पर बवाल: क्या है ओवरकॉन्फिडेंस और इन्फ्लुएंसर सिंड्रोम?
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कौन बनेगा करोड़पति (KBC) सीजन 17 में एक 8-10 साल का बच्चा अपने लहजे के कारण चर्चा में है. सोशल मीडिया पर कुछ लोग उसे ट्रोल कर रहे हैं, तो कुछ समर्थन कर रहे हैं.

दरअसल, बच्चे ने शो के होस्ट अमिताभ बच्चन से जिस तरह बात की, उसे बदतमीजी भरा लहजा बताकर ट्रोल किया जा रहा है. इशित भट्ट नाम का यह बच्चा गुजरात के गांधीनगर का रहने वाला है और पांचवीं कक्षा का छात्र है.

कई लोगों को बच्चे का बात करने का तरीका पसंद नहीं आ रहा है. पड़ताल करने पर पता चला कि कई बच्चों में एक सिंड्रोम होता है जिसे ओवरकॉन्फिडेंस या इन्फ्लुएंसर सिंड्रोम कहते हैं. इसके कारण वे बात करने का लहजा बदल लेते हैं, जिसके बारे में उन्हें खुद भी पता नहीं होता.

साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि इस तरह का सिंड्रोम आजकल बच्चों और बड़ों में काफी देखने को मिल रहा है.

ओवरकॉन्फिडेंस आगे बढ़कर इंफ्लूएंसर सिंड्रोम का कारण बनता है, जिसमें बच्चा खुद को हमेशा सेंटर ऑफ अटेंशन समझने लगता है. उसे लगता है कि हर जगह उसकी राय मायने रखती है. वे खुद को एक ब्रांड की तरह पेश करते हैं और यही सोच उनके व्यवहार को बदलने लगती है. वे बड़ों से कैजुअल बात करने लगते हैं, दूसरों की नहीं सुनते, लहजा बिगड़ जाता है और हर स्थिति में खुद को सही मानने लगते हैं.

बेंगलुरु के स्पर्श हॉस्पिटल के साइकोलॉजिस्ट डॉ. सपारे रोहित के अनुसार, बच्चों में आजकल जो ओवरकॉन्फिडेंस या दिखावटी एटीट्यूड दिखाई दे रहा है, उसे इन्फ्लुएंसर सिंड्रोम से जोड़कर देखा जा सकता है. सोशल मीडिया, यूट्यूब और रील्स के दौर में बच्चे बहुत जल्दी परिपक्व दिखाई देने की कोशिश करने लगे हैं. वे कैमरे के सामने बोलने, पोज देने या रिएक्शन देने के आदी हो गए हैं, जिसका असर उनके व्यवहार और भाषा पर भी पड़ता है.

बच्चे टीवी या मोबाइल पर जो भी रोल मॉडल देखते हैं, उनका अंदाज, बोलने का तरीका और रवैया कॉपी करने लगते हैं. जब यह आदत ज्यादा बढ़ जाती है तो बच्चा यह समझ नहीं पाता कि कब सेल्फ कॉन्फिडेंस सीमा पार कर ओवरकॉन्फिडेंस या बदतमीजी बन जाता है. कई बार माता-पिता भी बच्चों की स्मार्टनेस पर गर्व महसूस करते हैं और अनजाने में उनके गलत रवैये को बढ़ावा दे देते हैं.

इस उम्र में बच्चों का मस्तिष्क स्पंज की तरह होता है जो आसपास की हर चीज सीख लेता है. इसलिए पैरेंट्स को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे बच्चों को आत्मविश्वासी तो बनाएं, लेकिन साथ ही उन्हें विनम्रता, आदर और सही अभिव्यक्ति की भी शिक्षा दें.

बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि हर मंच पर व्यवहार का एक स्तर होता है. आज की डिजिटल दुनिया में इन्फ्लुएंसर माइंडसेट बच्चों को जल्दी लाइमलाइट में ला सकता है, लेकिन अगर उसे सही दिशा और सीमाएं न दी जाएं तो आगे चलकर यह व्यक्तित्व में अहंकार, असंवेदनशीलता और सामाजिक असंतुलन का कारण बन सकता है.

अगर इस पर पेरेंट्स और टीचर्स ध्यान न दें तो यह ओवरकॉन्फिडेंस आगे चलकर ईगो, विनम्रता की कमी और अथॉरिटी से टकराव में बदल सकता है.

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