कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के विरोध में 2019 में सेवा से इस्तीफा देने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए।
कन्नन गोपीनाथन कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल और पार्टी नेता पवन खेड़ा की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए।
गोपीनाथन ने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने का उनका निर्णय तब आया जब उन्हें एहसास हुआ कि कांग्रेस सही निर्णय ले सकती है और देश को सही दिशा दे सकती है।
मैंने 2019 में इस्तीफा दे दिया था। उस समय एक बात स्पष्ट थी कि सरकार देश को जिस दिशा में ले जाना चाहती है, वह सही नहीं है। यह स्पष्ट था कि मुझे गलत के खिलाफ लड़ना है। मैंने 80-90 जिलों की यात्रा की और लोगों से बात की। मैं कई नेताओं से मिला। तब यह स्पष्ट हो गया कि केवल कांग्रेस पार्टी ही देश को उस दिशा में ले जा सकती है, जिस दिशा में उसे जाना चाहिए।
उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने के तरीके पर भी सवाल उठाया। अनुच्छेद 370 को हटाना सरकार का फैसला हो सकता है। लेकिन अगर आप पूरे राज्य को बंद करने, सभी पत्रकारों, सांसदों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेल में डालने, परिवहन, संचार और इंटरनेट बंद करने का फैसला करते हैं, तो क्या यह सही है? यह सिर्फ मेरे लिए नहीं, हम सभी के लिए एक सवाल है। क्या एक लोकतांत्रिक देश में यह सही हो सकता है? क्या इसके खिलाफ आवाज नहीं उठनी चाहिए थी? मैंने यह सवाल उठाया था और मैं आज भी इस पर कायम हूं।
कांग्रेस ने गोपीनाथन के पार्टी में शामिल होने पर खुशी जताई। पार्टी ने सोशल मीडिया पर लिखा, कन्नन गोपीनाथन जी, 2012 बैच के IAS अधिकारी रहे। जिस समय देश में बोलना लगभग नामुमकिन था, तब उन्होंने आवाज उठाई। कन्नन गोपीनाथन जी ने जम्मू-कश्मीर को राज्य से UT बनाए जाने पर बुलंद होकर आवाज उठाई और CAA के मुद्दे पर भी मुखर रहे। उन्होंने संदेश दिया कि लोगों से बोलने का हक नहीं छीना जा सकता है। गोपीनाथन जी ने VVPAT के मुद्दे पर भी खुलकर बोला। कई FIR और तमाम कार्रवाई झेलीं, लेकिन वे डरे और झुके नहीं। आखिर में उन्होंने ऐसी नौकरी छोड़ दी, जिसे सब हासिल करना चाहते हैं। हमें खुशी है कि गोपीनाथन जी ने कांग्रेस पार्टी को चुना। हमारे दरवाजे हर उस आवाज के लिए खुले हैं, जो आजादी और न्याय की बात करती है।
गौरतलब है कि अगस्त 2019 में, केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था, जिससे जम्मू और कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा समाप्त हो गया था। इसके साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया। तब से, जम्मू और कश्मीर में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की ओर से राज्य का दर्जा बहाल करना एक प्रमुख मांग बनी हुई है।
*कन्नन गोपीनाथन जी, 2012 बैच के IAS अधिकारी रहे। जिस समय देश में बोलना लगभग नामुमकिन था, तब उन्होंने आवाज उठाई।
— Congress (@INCIndia) October 13, 2025
कन्नन गोपीनाथन जी ने जम्मू-कश्मीर को राज्य से UT बनाए जाने पर बुलंद होकर आवाज उठाई और CAA के मुद्दे पर भी मुखर रहे। उन्होंने संदेश दिया कि लोगों से बोलने का हक नहीं… pic.twitter.com/vmKRCWQaAJ
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