मुत्ताकी की भारत यात्रा से पाकिस्तान में क्यों मची खलबली?
News Image

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी का भारत दौरा पाकिस्तान में चिंता का विषय बन गया है। गुरुवार से शुरू हुए इस दौरे को लेकर पाकिस्तान में गहन चर्चा हो रही है।

मुत्ताकी 9 से 16 अक्टूबर तक भारत में रहेंगे। इस दौरान 10 अक्टूबर को उनकी विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात संभावित है। 11 से 13 अक्टूबर तक वह भारत में रह रहे अफगान नागरिकों से मिलेंगे। 14 और 15 अक्टूबर को मुत्ताकी सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में भाग लेंगे।

मुत्ताकी की भारत यात्रा की टाइमिंग को लेकर पाकिस्तान में विशेष रूप से चिंता है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अफगानिस्तान दोनों के साथ पाकिस्तान का तनाव चरम पर है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर टकराव हो रहे हैं, और अफगान शरणार्थियों के मुद्दे पर भी तालिबान सरकार पाकिस्तान से नाराज है। पाकिस्तान को डर है कि ऐसे में अफगानिस्तान को भारत से मदद मिल सकती है।

यह निष्कर्ष 16 अक्टूबर को पता चलेगा कि अफगान विदेश मंत्री की भारत यात्रा का परिणाम क्या होगा। लेकिन मुत्ताकी की भारत यात्रा में एक दिलचस्प पहलू भी जुड़ा है: उनका देवबंद दौरा।

बताया जा रहा है कि आधिकारिक मुलाकातों के बीच अफगान विदेश मंत्री देवबंद में स्थित दारुल उलूम देवबंद मदरसे में भी जाएंगे। प्रश्न है कि आखिर तालिबान के विदेश मंत्री देवबंद क्यों जाएंगे?

दरअसल, पश्तून बहुल खैबर पख्तून्ख्वा में जो दारूल उलूम हक्कानिया मदरसा है, उसे दारूल उलूम देवबंद की तर्ज पर ही बनाया गया था। दारूल उलूम हक्कानिया के संस्थापक मौलाना अब्दुल हक ने भी देवबंद के इसी मदरसे में शिक्षा प्राप्त की थी। इतना ही नहीं, तालिबान के कई बड़े कमांडर दारूल उलूम हक्कानिया से ही निकले हैं। इसी वजह से तालिबान के कमांडर दारूल उलूम देवबंद को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। अफगान विदेश मंत्री के आगमन का दारूल उलूम देवबंद को भी इंतजार है। आमिर खान मुत्ताकी को लेकर देवबंद के इस मदरसे में भी हलचल है।

मुत्ताकी के भारत दौरे को लेकर एक दुविधा कूटनीतिक हलकों में भी है। यह दुविधा दूतावास के झंडे से जुड़ी है। भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को अब तक मान्यता नहीं दी है। इसी वजह से दिल्ली के अफगान दूतावास में अब तक अफगानिस्तान का पुराना झंडा ही फहराया जाता है। मुत्ताकी जब दिल्ली स्थित दूतावास जाएंगे तो उन्हें वहां तालिबान की इस्लामिक अमीरात का नहीं, बल्कि रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का झंडा दिखेगा।

संभव है कि दूतावास पर झंडे जैसे मुद्दे को अफगान विदेश मंत्री दरकिनार भी कर दें, क्योंकि पाकिस्तान से बढ़ते खतरे और अफगानिस्तान के विकास के लिए तालिबान को भारत की जरूरत है। अगर तालिबान का झुकाव भारत की तरफ बढ़ा तो यह पाकिस्तान को हमेशा के लिए अलर्ट मोड में रहने के लिए मजबूर कर देगा।

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

अयोध्या में भीषण धमाका, पांच की मौत, मलबे में दबे होने की आशंका

Story 1

रणथंभौर में मां-बेटी बाघिनों के बीच खूनी जंग, पर्यटकों में मची खलबली

Story 1

जन सुराज ने जारी की पहली उम्मीदवार सूची, रितेश पांडे सहित कई चौंकाने वाले नाम!

Story 1

मैडोना के सामने सैफ अली खान की हरकत, उठकर चली गईं हॉलीवुड सिंगर!

Story 1

कफ सिरप कांड: मुख्यमंत्री ने तमिलनाडु सरकार पर असहयोग का आरोप लगाया, राहुल गांधी से चेन्नई में धरने की अपील

Story 1

नेवले ने छेड़ा, कोबरा भड़का: फिर जो हुआ, देखकर रह जाएंगे दंग!

Story 1

बुलंदशहर में जातिवादी स्टिकर और काली फिल्म वाली गाड़ियों पर पुलिस का कड़ा प्रहार

Story 1

हरियाणा पुलिस में भूचाल! डीजीपी और एसपी पर गिरी गाज, CM ने की IPS की पत्नी से मुलाकात

Story 1

अब तो जाना है... प्रेमानंद महाराज के शब्दों ने भक्तों को किया भावुक!

Story 1

बिहार चुनाव 2025: नित्यानंद और चिराग के चेहरों ने बताया, बन गई बात , एनडीए में ही रहेगी लोजपा (रामविलास)