शिक्षा पर केंद्रित संसदीय समिति की बैठक में बृजमोहन अग्रवाल ने उठाए अहम मुद्दे
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नई दिल्ली/रायपुर। लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आज नई दिल्ली स्थित संसद भवन में प्राक्कलन समिति की बैठक में भाग लिया। बैठक में देश में सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु बजट और नीतिगत पहलू पर विस्तार से चर्चा हुई। इस उच्चस्तरीय बैठक में शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और नवाचार-प्रधान बनाना था।

सांसद अग्रवाल ने शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता, समानता और आधुनिक तकनीकी एकीकरण को लेकर कई महत्वपूर्ण सुझाव और सवाल उठाए। उन्होंने पिछले पांच वर्षों में CBSE की आय और व्यय का विस्तृत विश्लेषण मांगा। साथ ही, प्रतिभाशाली और जरूरतमंद विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं की वर्तमान स्थिति पर जानकारी मांगी।

अग्रवाल ने नए युग के विषयों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक्स को पाठ्यक्रम में शामिल करने की प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी भी मांगी। उन्होंने पूछा कि नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है और शिक्षा में पारदर्शिता लाने के लिए कौन-से सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं। उनका सुझाव था कि पिछले पांच वर्षों में सामने आए शिक्षा क्षेत्र के धोखाधड़ी मामलों की जांच और उन पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए।

बैठक में कौशल विकास से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा भी की गई। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कौशल विकास पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता के लिए एक ठोस ऑडिट प्रणाली जरूरी है, ताकि विद्यार्थियों को रोजगारोन्मुख शिक्षा मिल सके। उन्होंने शिक्षकों के प्रशिक्षण को शिक्षा सुधार का सबसे अहम हिस्सा बताते हुए CBSE के 18 उत्कृष्टता केंद्रों की भूमिका और उपलब्धियों पर विशेष चर्चा की।

शिक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने CBSE के प्रदर्शन और सुधारों पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण पेश किया। प्रस्तुति में डिजिटल लर्निंग, मूल्यांकन सुधार, परीक्षा पारदर्शिता और छात्र कल्याण योजनाओं की जानकारी साझा की गई।

सांसद अग्रवाल ने कहा कि भारत की प्रगति का आधार उसकी शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। शिक्षा हमारे राष्ट्र के भविष्य की नींव है। हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चे तक सुलभ, समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचे, ताकि भारत आने वाले वर्षों में ज्ञान की महाशक्ति के रूप में उभरे।

बैठक के अंत में समिति ने यह निष्कर्ष निकाला कि आने वाले बजट सत्र में शिक्षा क्षेत्र के लिए पारदर्शिता, नवाचार और जवाबदेही को बढ़ावा देने वाली नीतिगत सिफारिशें प्रस्तुत की जाएंगी। इस बैठक को देश में शिक्षा सुधारों की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है। सांसदों ने सामूहिक रूप से इस बात पर सहमति जताई कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है।

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