रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को 2025 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की है। यह पुरस्कार उन्हें इलेक्ट्रिकल सर्किट में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और एनर्जी क्वानटाइजेशन की खोज के लिए दिया गया है।
फिजियोलॉजी या मेडिसिन में 2025 का नोबेल पुरस्कार पहले ही मैरी ई. ब्रुनको को दिया जा चुका है। उनके साथ फ्रेड रामस्डेल और शिमोन साकागुची को भी पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस से संबंधित उनके शोध के लिए सम्मानित किया गया है।
पुरस्कारों की घोषणा के दौरान, क्वांटम मैकेनिज्म के प्रभावों को समझाया गया। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्रणाली में क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और क्वांटाइज्ड एनर्जी लेवल, दोनों का प्रदर्शन किया जो हाथ में पकड़ने लायक थी।
यह खोज क्वांटम क्रिप्टोग्राफी, क्वांटम कंप्यूटर और क्वांटम सेंसर सहित क्वांटम तकनीक को और समझने में बेहद मददगार साबित होगी।
आमतौर पर क्वांटम मैकेनिक्स के नियम बहुत छोटे कणों (इलेक्ट्रॉन) पर लागू होते हैं। इनके व्यवहार को माइक्रोस्कोपिक कहा जाता है, क्योंकि ये इतने छोटे होते हैं कि सामान्य माइक्रोस्कोप से भी दिखाई नहीं देते। लेकिन इन वैज्ञानिकों ने पहली बार बिजली के सर्किट में बड़े पैमाने (मैक्रोस्कोपिक) पर क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा के स्तरों की खोज की है।
नोबेलप्राइज डॉट ओआरजी के अनुसार, 1901 से अब तक 118 वैज्ञानिकों को भौतिकी पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं। इनमें सबसे कम उम्र के विजेता 25 साल के लॉरेंस ब्रैग (1915) थे, जबकि 96 साल के आर्थर अश्किन (2018) यह सम्मान हासिल करने वाले सबसे उम्रदराज वैज्ञानिक थे।
पहले भारतीय जिन्हें इस श्रेणी में पुरस्कृत किया गया, वो सर सीवी रमन थे। उन्हें यह सम्मान 1930 में दिया गया, उनकी खोज ने बताया कि जब प्रकाश किसी पदार्थ से टकराता है, तो उसका रंग बदल सकता है। इसे रमन इफेक्ट कहते हैं और यह खोज आज लेजर और मेडिकल तकनीकों में इस्तेमाल होती हैं।
दूसरे भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर थे। इन्हें 1983 में तारों (स्टार्स) के जीवन और मृत्यु की खोज के लिए सम्मानित किया गया। उन्होंने ही बताया कि बड़े तारे अंत में ब्लैक होल बन सकते हैं।
6 से 13 अक्टूबर के बीच विभिन्न श्रेणियों में नोबेल प्राइज दिए जाते हैं। 6 अक्टूबर 2025 को मेडिसिन के लिए मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल और शिमोन साकागुची को सम्मानित किया गया। इन्हें यह प्राइज पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस के क्षेत्र में किए गए रिसर्च के लिए दिया गया है।
विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेंगे। अगर एक से ज्यादा वैज्ञानिक जीतते हैं, तो यह प्राइज मनी उनके बीच बंट जाती है। पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिए जाएंगे।
2025 Nobel Prize in Physics awarded to John Clarke, Michel H. Devoret and John M. Martinis for the discovery of macroscopic quantum mechanical tunnelling and energy quantisation in an electric circuit. pic.twitter.com/gia0LLRpyo
— ANI (@ANI) October 7, 2025
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