डॉनल्ड ट्रंप ने जॉर्ज सोरोस पर अपनी सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है. सोरोस को भारत विरोधी माना जाता है.
जॉर्ज सोरोस पर भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने के आरोप लगते रहे हैं. उनसे जुड़ी संस्थाएं कश्मीर को लेकर प्रोपेगैंडा फैलाने का काम करती हैं. वे भारत में हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की बात कहकर आलोचना करते हैं.
अब ट्रंप ने सोरोस के खिलाफ बड़ा एक्शन लेने का एलान किया है. यानी भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले सोरोस का इंतजाम अब अमेरिका में ही किया जाएगा.
ट्रंप ने कहा कि सोरोस अमेरिका में लोगों को भड़काने और हिंसा करवाने के लिए पैसा बांट रहे हैं.
ट्रंप ने सोरोस के खिलाफ RICO (रैकेटियर इन्फ्लुएंस्ड एंड करप्ट ऑर्गेनाइजेशंस) एक्ट के तहत मामला दर्ज करने की बात कही है. अमेरिका में यह कानून संगठित अपराध करने वाले माफिया, गैंग्स या अन्य आपराधिक संगठनों के सदस्यों पर लगाया जाता है.
अमेरिका में धोखाधड़ी, जुआ, ड्रग तस्करी, मानव तस्करी, हत्या और रंगदारी जैसे अपराधों को अवैध गतिविधियां माना जाता है. ट्रंप ने सोरोस और उनके बेटे अलेक्जेंडर सोरोस को इसी श्रेणी का अपराधी बताया है.
ट्रंप का आरोप है कि सोरोस ने अमेरिका में कई हिंसक प्रदर्शनों और दंगों को बढ़ावा दिया है. उन्होंने दावा किया कि ये प्रदर्शन सोरोस और उनके नेटवर्क द्वारा समर्थित थे, जो बगावत और सरकार के खिलाफ असंतोष को बढ़ावा दे रहे हैं.
अमेरिका में कैलिफोर्निया में आगज़नी और उपद्रव से अरबों डॉलर का नुकसान हुआ. ट्रंप के मुताबिक उन दंगों को सोरोस ने फाइनेंस किया.
अगर सोरोस को पेशेवर अपराधी बताने वाली RICO जांच आगे बढ़ती है, तो उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है और उन पर आपराधिक मामले चलाए जा सकते हैं.
सोरोस पर अमेरिका में दंगे भड़काने और ट्रंप सरकार को अस्थिर करने के आरोप लग रहे हैं. वे वामपंथी विचारधारा के समर्थन में चंदा भी देते हैं.
सोरोस ने 2016, 2020 और 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप के खिलाफ डेमोक्रेटिक पार्टी उम्मीदवारों को समर्थन दिया. उन्होंने ट्रंप के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली डेमोक्रेटिक पार्टी को लगभग 1 हजार 230 करोड़ रुपये दिए.
सोरोस के संगठन ओपन सोसाइटी फाउंडेशंस ने समानता, नागरिक स्वतंत्रता, शरणार्थियों के समर्थन और प्रवासी अधिकारों की आवाज उठाते हुए ट्रंप प्रशासन की प्रवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ अभियान शुरू किया. उन्होंने ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन का भी समर्थन किया.
ट्रंप ने 2017 में मुस्लिम बहुल देशों से अमेरिका में यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था, जिसका सोरोस ने विरोध किया था. सोरोस ने ट्रंप के टैरिफ वॉर और जलवायु परिवर्तन पर नकारात्मक नजरिए का भी विरोध किया था.
सोरोस पर दुनिया में कई राष्ट्रवादी सरकारों के खिलाफ अभियान चलाने के आरोप लगते रहे हैं.
भारत के खिलाफ भी सोरोस और उनसे जुड़ी संस्थाओं की एक्टिविटी विवादास्पद रही है. सोरोस की संस्था ओपन सोसाइटी फाउंडेशंस ने भारत में एमनेस्टी इंडिया को 10 मिलियन डॉलर दिए, जिसके बाद एमनेस्टी ने कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर प्रोपेगैंडा रिपोर्ट प्रकाशित की.
सोरोस की संस्थाएं भारत में कई एनजीओ को वित्तीय सहायता देती हैं, जिन पर विदेशी फंडिंग की मदद से अस्थिरता पैदा करने के आरोप लगे हैं.
सोरोस धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं के मुद्दों पर भारत सरकार की नीतियों की आलोचना कर चुके हैं.
दिल्ली दंगों के आरोपी और भारत को तोड़ने वाले नारे लगाने वाले उमर ख़ालिद की रिहाई को लेकर अब कुछ मानवाधिकार संगठन एकजुट हुए हैं. एम्नेस्टी इंटरनेशनल और 6 दूसरे मानवाधिकार संगठनों ने उमर ख़ालिद को जेल से रिहा करने की मांग की है.
DNA : भारत विरोधी सोरोस पर ट्रंप की स्ट्राइक !.. सोरोस ने रची ट्रंप सरकार गिराने की साजिश ?#DNA #DonaldTrump #Politics #India #America | @pratyushkkhare pic.twitter.com/LtUqB1IgOv
— Zee News (@ZeeNews) September 13, 2025
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