काठमांडू: नेपाल में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने देश की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। यह बड़ा फैसला नेपाल के राष्ट्रपति द्वारा संसद भंग करने की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद आया है। सुशीला कार्की ने केपी शर्मा ओली का स्थान लिया है, जिन्होंने नाटकीय रूप से पद से इस्तीफा दे दिया था।
73 वर्षीय सुशीला कार्की, जो नेपाल की पहली और एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं, अपनी ईमानदारी, निष्ठा और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं।
सूत्रों के अनुसार, जेन जेड समूह, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिग्डेल के बीच गहन विचार-विमर्श के दौरान कार्की का नाम अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए एक लोकप्रिय विकल्प के रूप में उभरा। जेन जेड समूह ने हाल ही में नेपाल में हिंसक प्रदर्शन किए, जिसके कारण मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपना पद छोड़ना पड़ा।
कार्की को जुलाई 2016 में नेपाल की 24वीं मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और वह लगभग 11 महीने तक इस पद पर रहीं।
वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी ने सुशीला कार्की के बारे में कहा, उन्होंने भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता के साथ एक साहसी और निष्पक्ष न्याय की प्रतिष्ठा बनाई है। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूती से खड़ी रही हैं।
सुशीला कार्की को पहले एक महाभियोग प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था, जिसे तत्कालीन शेर बहादुर देउबा सरकार द्वारा लाया गया था, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया गया।
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून, 1952 को पूर्वी नेपाल के बीरतनगर में हुआ था। उन्होंने 1971 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की। उन्होंने 1978 में कानून की डिग्री भी प्राप्त की।
कार्की ने न्यायिक पेशे में 32 साल बिताए और न्यायपालिका के क्षेत्र में महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गईं। उन्होंने 1979 में बीरतनगर में कानून का अभ्यास शुरू किया था।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे का कारण भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध में हुए प्रदर्शन थे। इन प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की जान चली गई थी। बाद में मरने वालों की संख्या बढ़कर 51 हो गई।
राष्ट्रपति पौडेल ने ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, लेकिन कहा है कि उनके नेतृत्व वाला मंत्रिमंडल तब तक सरकार चलाता रहेगा जब तक कि नई मंत्रिपरिषद का गठन नहीं हो जाता। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों की संख्या अब तक 51 हो चुकी है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध सोमवार रात को हटा लिया गया था।
#WATCH | Kathmandu | Nepal s former Chief Justice, Sushila Karki, takes oath as interim PM of Nepal
— ANI (@ANI) September 12, 2025
Oath administered by President Ramchandra Paudel
Video source: Nepal Television/YouTube pic.twitter.com/IvwmvQ1tXW
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