फ्रांस में जेन ज़ी के लिए सोशल मीडिया बैन: क्या उठेगा नेपाल जैसा बवाल?
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नेपाल में सोशल मीडिया पर नेपो किड्स की लग्जरी लाइफ के प्रदर्शन ने राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी थी. जेन ज़ी इस बात से नाराज़ थी कि नेताओं के बच्चे ऐश-आराम की ज़िंदगी जी रहे हैं, जबकि उन्हें बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. विरोध की आवाज़ दबाने के लिए नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया. उसके बाद नेपाल में जो हुआ, वो दुनिया ने देखा.

क्या फ्रांस में भी नेपाल जैसी क्रांति होगी? क्या फ्रांस नेपाल की जेन ज़ी क्रांति से सीख लेगा? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि फ्रांस में भी 15 साल से कम उम्र के नागरिकों के लिए सोशल मीडिया को बैन करने की तैयारी है. नेपाल में सोशल मीडिया बैन के बाद जेन ज़ी के युवा सड़क पर उतर आए थे. क्या फ्रांस में भी इस बैन के खिलाफ हंगामा और बवाल होगा?

फ्रांस सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. नेपाल की तरह ही फ्रांस में भी हिंसा हो रही है. क्या फ्रांस सरकार को डर है कि विरोध की यह आग सोशल मीडिया के जरिए जेन ज़ी तक पहुंच जाएगी? क्या इसी डर से फ्रांस अब सोशल मीडिया को बैन कर जेन ज़ी को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है?

फ्रांस सरकार का प्रस्ताव है कि 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया को पूरी तरह बैन किया जाए. 15 से 18 साल के किशोरों के लिए रात 10 बजे से सुबह 8 बजे तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल बैन किया जाए.

फ्रांस सरकार का तर्क है कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बच्चों में आक्रमकता बढ़ रही है. हाल ही में, पूर्वी फ्रांस में एक 14 साल के छात्र ने एक स्कूल स्टाफ को चाकू मार दिया था. जेन ज़ी को सोशल मीडिया से दूर करने के लिए फ्रांस सरकार इसी घटना को आधार बना रही है.

फ्रांस में 15 साल से कम उम्र के 82% बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले बच्चों में से 25% फेसबुक, 60% इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करते हैं. करीब 95% बच्चे यूट्यूब पर कंटेंट देखते हैं. फ्रांस में 15 साल से कम उम्र के बच्चे रोज औसतन 3 घंटे सोशल मीडिया पर गुजारते हैं. वीकेंड पर ये समय बढ़कर 5 घंटे तक हो जाता है.

फ्रांस में सोशल मीडिया के जरिए अपनी क्रिएटिविटी दिखाने वालों में जेन ज़ी की संख्या ज्यादा है. इसलिए सोशल मीडिया बैन करने के फैसले से नाराजगी बढ़ेगी ये तय है. फ्रांस सरकार के मुताबिक 2023 में 21% बच्चों ने कहा कि वे ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार हुए. 2023 में साइबर सेक्सटॉर्शन के मामले 30% तक बढ़े. 2024 में 11 से 15 साल की उम्र का हर चौथा बच्चा साइबर अपराध का शिकार हुआ.

फ्रांस सरकार यह साबित करना चाहती है कि फैसला जेन ज़ी के हित में है. लेकिन सवाल टाइमिंग को लेकर है, क्योंकि फ्रांस में सरकार का विरोध हो रहा है और इस विरोध को सोशल मीडिया के जरिए ही ताकत मिली है. यही वजह है कि सोशल मीडिया बैन करने के फैसले को संदेह की नजर से देखा जा रहा है.

ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पूरी तरह बैन है. यूके में ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट के तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल को रेग्युलेट किया गया है. जर्मनी में 16 साल से कम उम्र के नाबालिगों को सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए माता-पिता की सहमति लेनी पड़ती है. चीन में 18 साल से कम उम्र के बच्चे हफ्ते में तीन घंटे ही ऑनलाइन गेम खेल सकते हैं और रोज 40 मिनट ही सोशल मीडिया इस्तेमाल करने की इजाजत है.

फ्रांस में इस वक्त सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है. प्रदर्शन का सीधा कनेक्शन सोशल मीडिया से है. इसलिए मैक्रो सरकार के फैसले के पीछे सोशल मीडिया पर विरोध की आवाज को दबाने की मंशा देखी जा रही है.

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