नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल: जेन-जेड के दिल में बसे पीएम मोदी, लीडरशिप की तारीफ करते हुए की बड़ी मांग
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नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ शुरू हुआ जेन-जेड आंदोलन अब हिंसा और खून-खराबे में तब्दील हो चुका है। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में अराजकता का माहौल है।

9 सितंबर को हुए प्रदर्शन में 19 लोगों की मौत हो गई और 400 से अधिक लोग घायल हुए। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया, जबकि गृहमंत्री रमेश लेखक को भी पद छोड़ना पड़ा।

इस बीच, एक वायरल वीडियो ने नेपाल की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। वीडियो में एक नेपाली युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफ करता नजर आ रहा है। उसने कहा- हमें यहां मोदी जैसा नेता चाहिए। अगर हमारे पास मोदी जैसा नेता होता, तो नेपाल दुनिया का शीर्ष देश होता। अब बालेन आएंगे और सब ठीक हो जाएगा।

नेपाल के युवा इस समय निर्णायक और पारदर्शी नेतृत्व की तलाश में हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मॉडल उनके लिए प्रेरणा बन गया है। जेन-जेड का मानना है कि नेपाल की दशकों पुरानी राजनीतिक अस्थिरता से बाहर निकलने के लिए वैसा ही नेतृत्व जरूरी है, जैसा भारत में देखने को मिला। विशेषज्ञों के मुताबिक, नेपाल के युवाओं के बीच मोदी का नाम लिया जाना भारत की कूटनीतिक सफलता का भी संकेत है।

आंदोलन में काठमांडू के मेयर बालेन शाह सबसे चर्चित चेहरा बनकर उभरे हैं। इंजीनियर से नेता बने बालेन को युवा ईमानदार और अलग सोच रखने वाला चेहरा मानते हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पारंपरिक दलों की राजनीति अब जनता का भरोसा खो चुकी है और बदलाव की उम्मीद केवल बालेन शाह से जुड़ी है।

आंदोलन पिछले महीने से तेज हुआ था। 8 सितंबर को पुलिस फायरिंग में हालात और बिगड़ गए। अगले ही दिन प्रधानमंत्री ओली को इस्तीफा देना पड़ा। भीड़ ने संसद भवन को घेर लिया, नेपाली कांग्रेस के दफ्तर में आग लगा दी और कई नेताओं के घरों को निशाना बनाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल और पंजाब से लौटते ही स्थिति की समीक्षा में जुट गए। उन्होंने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक बुलाई और कहा- नेपाल की स्थिरता, शांति और समृद्धि भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम नेपाली जनता से संयम और शांति बनाए रखने की अपील करते हैं। भारत का यह रुख नेपाल में गंभीरता से लिया जा रहा है और इसे पड़ोसी की स्थिरता के प्रति भारत की चिंता के रूप में देखा जा रहा है।

नेपाल की सेना ने हालात काबू में करने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। हेलीकॉप्टरों से मंत्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया और कई जिलों में कर्फ्यू लगाया गया। त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ानें भी कुछ समय के लिए रोक दी गईं। सेना ने जनता से शांति बनाए रखने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने की अपील की। वहीं, मेयर बालेन शाह ने भी नागरिकों से संयम बरतने की गुहार लगाई।

नेपाल का मौजूदा संकट केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि युवाओं की निराशा और बदलाव की मांग का प्रतीक है। जेन-जेड का यह आंदोलन बताता है कि नई पीढ़ी पारंपरिक राजनीति को नकार चुकी है और मजबूत नेतृत्व चाहती है। ऐसे माहौल में मोदी मॉडल की चर्चा और बालेन शाह का उभरना यह संकेत देता है कि नेपाल की राजनीति बड़े बदलाव की दहलीज़ पर खड़ी है।

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