नेपाल की राजनीति में मंगलवार को बड़ा उलटफेर हुआ। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अचानक पद से इस्तीफा दे दिया।
यह कदम तब आया जब Gen Z के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया और राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसा फैल गई।
नेपाल सरकार ने हाल ही में फेसबुक, एक्स (ट्विटर), इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया था। इसका विरोध कर रहे युवा उबल पड़े। हालांकि, सरकार ने बाद में यह आदेश वापस ले लिया, लेकिन तब तक यह प्रदर्शन भ्रष्टाचार और वंशवाद (नेपोटिज्म) के खिलाफ बड़े जन आंदोलन में बदल चुका था।
काठमांडू और अन्य शहरों में सोमवार को हालात पूरी तरह बेकाबू हो गए। सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
गुस्साई भीड़ ने वित्त मंत्री विष्णु पौडेल पर हमला किया, उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा और लात-घूसे बरसाए।
जनाक्रोश बढ़ने के बीच गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव ने इस्तीफा देकर सरकार से किनारा कर लिया। अंततः प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भी पद छोड़ना पड़ा। इस घटनाक्रम ने स्पष्ट कर दिया कि नाराज जनता के गुस्से के सामने सत्ता असहाय हो गई।
प्रदर्शनकारियों ने राजधानी की सड़कों पर केपी चोर, देश छोड़ और भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई करो जैसे नारे लगाए। युवाओं के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था कि Stop corruption, not social media, Unban social media, Shut down corruption and not social media. सोशल मीडिया पर भी #NepoKid, #NepoBabies और #PoliticiansNepoBabyNepal जैसे हैशटैग तेजी से ट्रेंड करने लगे।
हिंसा की सबसे भयावह तस्वीर तब सामने आई जब प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री ओली के भक्तपुर स्थित आवास और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निवास में आग लगा दी। संसद भवन भी आगजनी की चपेट में आया। शहर की सड़कों पर कारें और ट्रक जलते देखे गये। राजधानी काठमांडू काले धुएं से भर गई और हालात युद्ध जैसे हो गये।
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच लगातार झड़पों के बीच हालात इतने बिगड़े कि काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बंद करना पड़ा। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रभावित रहीं। पुलिस जब हालात काबू में करने में नाकाम रही तो सरकार ने सेना की तैनाती की। कई नेताओं और मंत्रियों को सेना की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफे से पहले बयान जारी कर कहा कि संवाद ही संकट का समाधान है। लेकिन प्रदर्शनकारियों के दबाव में उन्होंने पद छोड़ दिया। नेपाल की संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, प्रधानमंत्री का इस्तीफा अपने आप में सरकार गिरने का संकेत नहीं होता। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल सरकार के संवैधानिक प्रमुख हैं। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति भी इस्तीफा दे सकते हैं, जिससे सरकार पूरी तरह गिर सकती है।
नेपाल की स्थिति पर भारत ने चिंता जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम गहराई से दुखी हैं कि इतनी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों की मौत हुई। एक नजदीकी मित्र और पड़ोसी होने के नाते हम उम्मीद करते हैं कि सभी पक्ष संयम बरतेंगे और समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण संवाद से करेंगे। भारत ने नेपाल में रह रहे अपने नागरिकों को सतर्क रहने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है।
Nepal’s Finance Minister is literally being trashed on the streets. With this level of lawlessness, they won’t even be able to walk safely anymore.
— Saffron_Syndicate (@SaffronSyndcate) September 9, 2025
This is what anarchy looks like pic.twitter.com/FuMYOir7PX
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