महाराष्ट्र विधानसभा में पिछले दस महीनों से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है। विधानसभा चुनाव में कम संख्या बल के कारण महाविकास अघाड़ी के किसी भी दल के पास पर्याप्त सदस्य नहीं हैं। विधान परिषद में भी नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे का कार्यकाल समाप्त होने से यह पद रिक्त हो गया है। इस वजह से राज्य विधानमंडल के दोनों महत्वपूर्ण सदनों में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है।
कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बीच इन रिक्त पदों को लेकर खींचतान जारी है। अंबादास दानवे, जो उद्धव ठाकरे की शिवसेना के सदस्य थे, के कार्यकाल की समाप्ति के बाद से विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है।
कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे गुट के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने विधान परिषद के सभापति राम शिंदे से मुलाकात कर उच्च सदन में विपक्ष के नेता का पद भरने का आग्रह किया। कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार और बालासाहेब थोराट ने सभापति को बताया कि विपक्ष के नेता की अनुपस्थिति से विधायी कामकाज प्रभावित हो रहा है।
कांग्रेस ने इस नियुक्ति को लेकर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगियों से बातचीत शुरू कर दी है और बालासाहेब थोराट ने कहा कि कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष पद के लिए दावा करते हुए पहले ही एक पत्र सौंप दिया है।
इस पद के लिए कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बीच पहले काफी प्रतिस्पर्धा थी। बालासाहेब थोरात, विजय वडेट्टीवार और अमीन पटेल ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की।
महाराष्ट्र विधान परिषद में कुल 78 सदस्य हैं। सत्ताधारी महायुति के पास 40 सदस्य हैं, जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी के पास 16 सदस्य हैं। वर्तमान में 22 सीटें रिक्त हैं। महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस के 7 एमएलसी, शिवसेना (यूबीटी) के 6 और एनसीपी (एसपी) के 3 एमएलसी हैं। बीजेपी के 22 एमएलसी हैं, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 7 और अजित पवार की एनसीपी के 8 एमएलसी हैं।
संख्या बल के आधार पर, कांग्रेस के पास सर्वाधिक सदस्य हैं, जिससे उन्हें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद मिलने की प्रबल संभावना है। अंबादास दानवे की सेवानिवृत्ति कांग्रेस के लिए एक शुभ संकेत मानी जा रही है।
महाविकास अघाड़ी के अनौपचारिक समझौते के अनुसार, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद उद्धव ठाकरे की शिवसेना को मिलेगा, इसलिए कांग्रेस ने विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष पद पर दावा किया। विधान परिषद में कांग्रेस के पास शिवसेना से अधिक सदस्य हैं और उद्धव ठाकरे ने भी इस पर अपनी सहमति दे दी है।
कांग्रेस की ओर से सतेज पाटिल का नाम इस पद के लिए सबसे आगे है। यदि यह पद उद्धव ठाकरे की शिवसेना को मिलता, तो अनिल परब का नाम प्रमुख होता। लेकिन उद्धव ठाकरे ने सतेज पाटिल के नाम को मंजूरी देकर इस विवाद को समाप्त कर दिया है।
महाविकास अघाड़ी में पदों के बंटवारे को लेकर एक अलिखित नियम है जिसके तहत विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष एक दल को और विधान परिषद का नेता प्रतिपक्ष दूसरे दल को मिलता है ताकि शक्ति संतुलन बना रहे। कांग्रेस ने विधान परिषद में अपने संख्या बल के आधार पर इस पद को हासिल करने के लिए जोरदार प्रयास किए हैं ताकि पार्टी को विधान परिषद में एक अधिक प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर मिले।
महाराष्ट्र विधान परिषदेतील विरोधी पक्षनेतेपद सध्या रिक्त असून याबाबत लवकर निर्णय घेण्यात यावा, यासाठी काँग्रेसचे विधिमंडळ नेते विजय वडेट्टीवार यांच्या समवेत महाराष्ट्र विधान परिषदेचे सभापती राम शिंदे यांची भेट घेतली. pic.twitter.com/w0AYG6z9eC
— Balasaheb Thorat (@bb_thorat) September 8, 2025
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