कश्मीर में फिर पथराव! हजरतबल में राष्ट्रीय चिन्ह मिटाया, क्या अब्दुल्ला दे रहे हैं शह?
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जम्मू-कश्मीर के हजरतबल दरगाह में शुक्रवार को ईद-ए-मिलाद के दौरान उपद्रवियों ने राष्ट्रीय चिन्ह वाले शिलालेख पर पत्थर बरसाकर अशोक चिन्ह को मिटा दिया। यह घटना मुख्य प्रार्थना कक्ष के बाहर हुई, जहां पत्थरों और नारों के साथ हमला किया गया। हजारों मुस्लिम इस मौके पर प्रार्थना के लिए जमा हुए थे।

हजरतबल दरगाह सदियों से जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे पवित्र स्थान रहा है, क्योंकि यहां पैगंबर मोहम्मद का पवित्र बाल रखा है।

सामूहिक प्रार्थना के तुरंत बाद, भीड़ ने वक्फ बोर्ड के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए और शिलालेख के पास जमा हो गए। इसके बाद महिला और पुरुषों ने अशोक चिन्ह को पत्थरों की चोट से मिटा दिया। वक्फ बोर्ड ने हाल ही में करोड़ों रुपये खर्च करके दरगाह को भव्य रूप से सजाया था।

जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने राष्ट्रीय चिन्ह को मिटाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह श्रद्धालुओं और संविधान के अनुयायियों के दिलों पर चोट है।

उन्होंने इसे एक आतंकवादी हमला बताते हुए हमलावरों की पहचान कर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत गिरफ्तार करने की मांग की है। PSA एक सख्त कानून है जिसके तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के सालों तक जेल में रखा जा सकता है। डॉ. अंद्राबी ने कहा कि दोषियों को जीवन भर के लिए दरगाह में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा और उनके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी।

डॉ. अंद्राबी ने इस कृत्य के लिए सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के कार्यकर्ताओं को दोषी ठहराया और कहा कि पार्टी पत्थरबाजी के अपने पुराने खेलों पर लौट आई है। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से सवाल किया कि क्या वे राष्ट्रीय चिन्ह का सम्मान नहीं करते।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उपद्रवियों का खुलकर समर्थन करते हुए कहा कि दरगाह में राष्ट्रीय चिन्ह नहीं होना चाहिए था। उन्होंने झूठ बोलते हुए कहा कि किसी भी धार्मिक इमारत में राष्ट्रीय चिन्ह नहीं होता, जबकि इंडोनेशिया, अमेरिका और दूसरे कई देशों में धार्मिक इमारतों पर राष्ट्रीय चिन्ह होना आम बात है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने दरगाह के अंदर की शिलालेख को मुसलमानों को उकसाने का एक जानबूझकर प्रयास बताया है। उनकी मां महबूबा मुफ्ती ने भी इसे पैगम्बर का अपमान बताया।

भारत में राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान करने पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 124 के तहत 3 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

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