175 वस्तुओं पर जीएसटी घटने की तैयारी, निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बैठक शुरू
News Image

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक शुरू हो गई है। इस बैठक में जीएसटी सुधारों को लागू करने पर विचार किया जा रहा है।

खबरों के अनुसार, बैठक में 175 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी घटाने के प्रस्ताव पर चर्चा होगी। मौजूदा चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को घटाकर दो स्लैब (5% और 18%) करने की तैयारी है।

महंगे और सिन गुड्स (Luxury/Sin Goods) के लिए 40% का अलग टैक्स स्लैब लाने पर भी विचार किया जा रहा है।

प्रस्ताव के अनुसार, टूथपेस्ट, साबुन, शैम्पू, रेडी-टू-ईट फूड्स, बटर, चीज़, स्नैक्स, चटनी और ज्यादातर खाने-पीने व कपड़े के सामान 5% जीएसटी स्लैब में आ सकते हैं।

वहीं, टीवी, एसी, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन, सीमेंट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान 18% जीएसटी स्लैब में आ सकते हैं (पहले इन पर 28% टैक्स लगता था)। लक्ज़री कारें, 350cc से ऊपर की बाइकें, तंबाकू और महंगे प्रोडक्ट्स पर 40% जीएसटी लगने की संभावना है।

ऑटो सेक्टर पर इसका असर देखने को मिलेगा। छोटी पेट्रोल और हाइब्रिड कारें (1200 cc तक) अब 18% जीएसटी स्लैब में आ सकती हैं, जो पहले 28% था। महंगी इलेक्ट्रिक कारों (₹20-40 लाख) पर जीएसटी 5% से बढ़कर 18% हो सकता है।

दोपहिया वाहन इंडस्ट्री लंबे समय से जीएसटी 28% से घटाकर 18% करने की मांग कर रही थी, जिसे राहत मिल सकती है। लेकिन 350cc से ऊपर की बाइक पर 40% टैक्स लगाने का प्रस्ताव है, जिससे रॉयल एनफील्ड और बजाज जैसी कंपनियों को नुकसान हो सकता है।

आम जनता को रोजमर्रा के सामान जैसे साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट और खाद्य पदार्थों के सस्ते होने का फायदा होगा। इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टीवी, एसी, वॉशिंग मशीन और सीमेंट खरीदना भी सस्ता होगा। गाड़ियों और टू-व्हीलर्स की कीमतों में कमी आ सकती है, लेकिन महंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और लक्जरी बाइक-कारें खरीदना महंगा हो जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से देश को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत को नए जीएसटी ढांचे की जरूरत है। अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है। ऐसे में जीएसटी सुधार एक तरह का कुशन माने जा रहे हैं, जो उपभोक्ताओं की जेब पर असर डालते हुए अर्थव्यवस्था को सहारा देंगे।

एसबीआई रिसर्च के मुताबिक, जीएसटी सुधारों से अगले 12 महीनों में भारत की जीडीपी में 0.60% तक की बढ़त हो सकती है। महंगाई में भी 20-25 बेसिस पॉइंट की कमी आ सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दरों में कटौती और स्लैब घटाने से सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान हो सकता है। अनुमान के अनुसार, सालाना करीब ₹60,000 करोड़ से ₹1.7 लाख करोड़ तक का घाटा हो सकता है।

हालांकि, सरकार इस घाटे को आंशिक रूप से जीएसटी कंपनसेशन सेस फंड से पूरा कर सकती है, जिसमें मार्च 2026 तक ₹45,581 करोड़ का सरप्लस होगा। टैक्स कम होने से खपत बढ़ेगी, जिससे सरकार की कमाई भी फिर से बढ़ सकती है।

जीएसटी काउंसिल राज्यों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए नए कंपनसेशन मैकेनिज्म पर भी विचार कर रही है। इसमें सिन गुड्स पर लगने वाले 40% टैक्स से होने वाली कमाई और मुआवजा फंड का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

पुतिन से मुलाकात के बाद किम जोंग उन की टीम ने मिटाए सारे सबूत!

Story 1

महाआर्यमन सिंधिया बने MPCA अध्यक्ष, तोड़ा दादा और पिता का रिकॉर्ड!

Story 1

वायरल वीडियो: सच्चा यार! भैंसे के दोस्त ने शेर को भगाया, दोस्ती देख करेंगे सलाम

Story 1

कांग्रेसी विधायक का महिला पत्रकार पर विवादित बयान: जब आपकी डिलीवरी होगी, तब...

Story 1

SBI ग्राहक ध्यान दें! कल दोपहर YONO सर्विस एक घंटे के लिए रहेगी बंद

Story 1

ट्रंप का बड़ा ऐलान: इस्तीफा नहीं, डिफेंस पर फैसला, यूएस स्पेस कमांड मुख्यालय अलबामा में शिफ्ट

Story 1

कभी 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड... तेजस्वी का मोदी पर तीखा हमला

Story 1

बस्तर में बाढ़ का कहर, दंतेवाड़ा बेहाल, सीएम साय ने गृहमंत्री को बताई आपबीती

Story 1

क्या भारत पर टैरिफ हटाएंगे ट्रंप या करेंगे और सख़्त? आज होगा बड़ा फैसला!

Story 1

भारत और जर्मनी व्यापार सुगमता बढ़ाएंगे, अंतरिक्ष व रक्षा में होगा सहयोग