इंडोनेशिया में भड़का जन आक्रोश: वेतन वृद्धि के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग, दंगे जैसे हालात
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इंडोनेशिया, जो अपनी शांतिप्रिय छवि के लिए जाना जाता है, इन दिनों दंगों की आग में जल रहा है। 25 अगस्त 2025 से शुरू हुआ प्रदर्शन एक हफ्ते बाद भी जारी है, जिससे राजधानी जकार्ता समेत पूरे देश में विरोध प्रदर्शन और हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही।

हालात इतने गंभीर हैं कि प्रदर्शनकारियों ने कई राजनेताओं के घरों को लूट लिया है। हर तरफ से गोली चलने की आवाज़ें आ रही हैं। यह इंडोनेशिया में बीते दो दशकों में हुई सबसे बड़ी हिंसा है।

इस प्रदर्शन की शुरुआत 25 अगस्त को सांसदों के वेतन में वृद्धि के खिलाफ राजधानी जकार्ता से हुई। लगभग 10 दिन पहले यह खुलासा हुआ था कि इंडोनेशिया के 580 सांसदों को वेतन के अलावा हर महीने 50 लाख रुपिया (लगभग 3,075 डॉलर) मकान भत्ते के रूप में मिल रहे हैं, जो राजधानी के न्यूनतम वेतन से 10 गुना ज्यादा है। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही जनता के लिए यह खबर आग में घी डालने जैसा साबित हुई। इसके बाद लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन करने लगे।

आक्रोश उस समय और भड़क गया जब सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान एक डिलीवरी बॉय, अफ्फान कुर्नियावान, की कथित तौर पर पुलिस कार्रवाई में मौत हो गई। इस घटना के बाद पुलिस और प्रदर्शनकारी आमने-सामने आ गए, जिससे सरकार के लिए स्थिति को संभालना मुश्किल हो गया है।

हिंसा में अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इन प्रदर्शनों के कारण इंडोनेशिया को 28.22 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

भारी सैन्य गश्त के बावजूद, छात्रों ने जकार्ता, योग्याकार्ता, बांडुंग और मकास्सर में प्रदर्शन किए। जकार्ता की मुख्य सड़कों पर सेना तैनात है। छात्रों को ऑनलाइन कक्षाएं लेने और कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है।

इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो ने राजनेताओं के लाभों को कम करने की बात कही है और हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। यह आदेश राजनीतिक दलों के सदस्यों के घरों और सरकारी भवनों में तोड़फोड़ और कई प्रांतों में क्षेत्रीय विधान परिषद भवनों में आग लगाए जाने के बाद दिया गया है। मकास्सर शहर में एक सरकारी भवन में आग लगा दी गई, जिसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई। जकार्ता में गुस्साई भीड़ ने क्षेत्रीय विधान सभा के कई सदस्यों के घरों में घुसकर लूटपाट की है। इन दंगों के कारण राष्ट्रपति प्रबोवो ने चीन की अपनी यात्रा रद्द कर दी है और स्थिति पर सीधे नजर रखने और समाधान खोजने का वादा किया है।

सांसदों के भत्ते को लेकर शुरू हुए हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए राजनीतिक दलों ने इनमें कटौती पर सहमति जताई है। राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो ने रविवार को यह जानकारी दी। सरकार विरोधी प्रदर्शनों को शांत करने के लिए यह कदम उठाया गया है। राष्ट्रपति भवन में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रबोवो ने कहा कि वे कई नीतियों को रद्द करेंगे, जिनमें संसद सदस्यों के भत्तों का आकार और विदेश कार्य यात्राओं पर रोक शामिल हैं। कई मंत्री अपनी सुरक्षा के लिए विशेष नंबर प्लेटों के बजाय सामान्य नंबर प्लेटों वाले वाहनों से राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। रविवार को कई प्रमुख मंत्रियों के घरों और सरकारी प्रतिष्ठानों की सेना द्वारा सुरक्षा की जा रही थी।

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