कोलकाता में सोमवार को उस समय राजनीतिक तनाव बढ़ गया जब सेना ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) द्वारा लगाए गए एक पंडाल को हटा दिया. यह पंडाल केंद्र सरकार की त्रिभाषा नीति के खिलाफ धरने के लिए लगाया गया था.
मेयो रोड स्थित आर्मी ग्राउंड पर यह पंडाल अनुमति लेकर लगाया गया था, लेकिन अनुमति की अवधि समाप्त होने के बाद सेना ने इसे हटा दिया.
इस घटना से TMC भड़क उठी और इसे विपक्षी दलों को दबाने की भारतीय जनता पार्टी (BJP) की साजिश करार दिया.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने समर्थकों के साथ तुरंत आर्मी ग्राउंड पहुंचीं. उन्होंने खुले पंडाल में ही सभा की और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा.
ममता बनर्जी ने इसे अनैतिक, असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सेना का इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए कर रही है और उसे आंतरिक और सीमा सुरक्षा की कोई परवाह नहीं है.
TMC सुप्रीमो ने कहा कि वे भारतीय सेना का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन मेयो रोड पर जो हुआ वह सेना का काम नहीं था. उन्होंने आरोप लगाया कि अनुमति और जमानत राशि जमा होने के बावजूद, बीजेपी ने उनके धरने को ध्वस्त करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया.
ममता बनर्जी ने कहा कि यह आंदोलन लोकतंत्र के लिए है और बंगाल लड़ेगा और विजयी होगा.
वहीं, रक्षा मंत्रालय ने ममता बनर्जी के आरोपों को निराधार बताया है.
मंत्रालय के प्रवक्ता हिमांशु तिवारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार स्थानीय सैन्य अधिकारी किसी भी कार्यक्रम के लिए तीन दिनों की अनुमति दे सकते हैं. यदि इससे अधिक समय के लिए अनुमति चाहिए तो रक्षा मंत्रालय से संपर्क करना होगा.
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए अगस्त की शुरुआत में तीन दिनों की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब एक महीना हो गया है. इसलिए नियमों का पालन करते हुए सेना इसे हटा रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाषा आंदोलन के बहाने ममता बनर्जी की नजर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर है. TMC पिछले चुनाव में 213 सीटें जीती थी और इस बार 215 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है.
ममता बनर्जी सरकार का भाषा आंदोलन जुलाई 2025 में शुरू हुआ एक राजनीतिक अभियान है. इसका उद्देश्य दूसरे राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी मजदूरों के साथ हो रहे कथित उत्पीड़न और हमलों पर विरोध जताना है.
ममता बनर्जी का आरोप है कि बीजेपी सरकारें बंगाली बोलने वालों को बांग्लादेशी या अवैध प्रवासी बताकर हिरासत में ले रही हैं. जबकि बंगाली दुनिया की पांचवीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है.
*Bengal has always revered the custodians of our nation. But what unfolded at Mayo Road was nothing short of political tyranny. A peaceful protest, born from love for our mother tongue, was torn down at the orders of Delhi’s frightened zamindars.
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) September 1, 2025
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