भारत ने अमेरिका के उस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर मुनाफाखोरी कर रहा है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को साफ-साफ कहा कि भारत का रूस से तेल खरीदना न सिर्फ अपने देश के हित में है, बल्कि वैश्विक बाजार को स्थिर रखने के लिए भी जरूरी है।
नई दिल्ली में इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम में अमेरिका को जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड पेट्रोलियम खरीदने में दिक्कत है, तो मत खरीदो। कोई आपको मजबूर नहीं कर रहा।
व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने हाल ही में भारत पर आरोप लगाया था कि वह रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे रिफाइन करके यूरोप और अन्य जगहों पर ऊंचे दामों पर बेच रहा है। नवारो ने इसे मुनाफाखोरी की स्कीम करार दिया था।
इस पर जयशंकर ने तंज कसते हुए कहा, यह बड़ा अजीब है कि एक बिजनेस समर्थक अमेरिकी प्रशासन दूसरों पर बिजनेस करने का इल्जाम लगा रहा है।
जयशंकर ने सवाल उठाया कि रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदने वाला देश चीन है और सबसे ज्यादा LNG (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) खरीदने वाला यूरोपीय संघ है, लेकिन इन पर कोई उंगली नहीं उठाता।
जयशंकर ने कहा, लोग कहते हैं कि हम रूस-यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहे हैं या पुतिन के खजाने में पैसा डाल रहे हैं। लेकिन रूस और यूरोपीय संघ का व्यापार भारत-रूस व्यापार से कहीं ज्यादा है। तो क्या यूरोप पुतिन के खजाने में पैसा नहीं डाल रहा?
विदेश मंत्री ने माना कि पिछले कुछ सालों में भारत ने रूस से तेल खरीद बढ़ाई है। उन्होंने कहा, यह हमारा हक है। इसे हम अपनी रणनीतिक स्वायत्तता कहते हैं। हम रूस से तेल इसलिए खरीद रहे हैं ताकि वैश्विक तेल बाजार में स्थिरता बनी रहे। यह हमारे देश के हित में है और हमने कभी यह छिपाया भी नहीं। लेकिन यह वैश्विक हित में भी है।
जयशंकर ने बताया कि 2019-20 में भारत के कुल तेल आयात में रूस का हिस्सा सिर्फ 1.7 फीसदी था, जो 2024-25 में बढ़कर 35.1 फीसदी हो गया। अब रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है।
यह बदलाव तब आया जब 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए और उसका तेल खरीदना बंद कर दिया। इसके बाद भारत ने सस्ते दामों पर रूस से तेल खरीदना शुरू किया।
जयशंकर ने खुलासा किया कि भारत ने रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर पिछले अमेरिकी प्रशासन से खुलकर बात की थी। उन्होंने कहा, उस वक्त अमेरिकी प्रशासन ने साफ कहा था कि उन्हें भारत के तेल खरीदने से कोई दिक्कत नहीं है।
जयशंकर ने जी7 देशों द्वारा रूसी तेल पर लगाए गए मूल्य कैप (प्राइस कैप) का जिक्र करते हुए कहा, जब आपने प्राइस कैप बनाया, तो इसका मतलब है कि आपने माना कि रूस के साथ तेल का व्यापार चल रहा है। वरना प्राइस कैप की जरूरत ही नहीं पड़ती।
जयशंकर ने बताया कि 2022 में तेल की कीमतें बढ़ने से पूरी दुनिया में चिंता थी। उस वक्त भारत ने अमेरिकी प्रशासन के साथ कई बार इस मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने कहा, तेल की कीमतों को लेकर वैश्विक घबराहट थी। हमने रूस से तेल खरीदकर बाजार को स्थिर करने में मदद की।
#WATCH | Delhi: At The Economic Times World Leaders Forum 2025, EAM Dr S Jaishankar says, It s funny to have people who work for a pro-business American administration accusing other people of doing business. If you have a problem buying oil or refined products from India, don t… pic.twitter.com/rXW9kCcVuv
— ANI (@ANI) August 23, 2025
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