बरसात के मौसम में मच्छर जनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है। डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां आम हैं, लेकिन मच्छरों का प्रकोप यहीं तक सीमित नहीं है। ये फाइलेरिया (हाथीपांव) जैसे गंभीर रोग का भी खतरा बढ़ाते हैं।
फाइलेरिया, जिसे हाथीपांव भी कहते हैं, मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है। इस रोग में रोगी का पांव फूलकर हाथी के पैर जैसा दिखने लगता है।
संक्रमित मच्छरों के काटने से बारीक कीड़े शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और धीरे-धीरे लिंफेटिक सिस्टम को प्रभावित करते हैं। लिंफेटिक सिस्टम शरीर में पानी और इम्यूनिटी को नियंत्रित करता है। इसके खराब होने से हाथ-पैर या अंडकोश में सूजन आ जाती है।
अगर हाथीपांव का समय रहते उपचार न किया जाए तो स्वास्थ्य संबंधी कई जटिलताएं हो सकती हैं।
भारत का लक्ष्य 2027 तक फाइलेरिया को खत्म करना है।
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 10-28 अगस्त के बीच फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है। प्रभावित क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं और लोगों को दवा दी जाती है। यह दवा फाइलेरिया संक्रमण से बचाती है और बीमारी के फैलाव को रोकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि दवा का सेवन करना ही फाइलेरिया से सुरक्षित रहने का सबसे आसान उपाय है।
फाइलेरिया कैसे होता है?
जब कोई मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वह कीड़े अपने अंदर ले लेता है। वही मच्छर जब किसी दूसरे इंसान को काटता है, तो ये कीड़े उसके खून में पहुंच जाते हैं और लसीका नलिकाओं पर हमला करते हैं। मलेरिया की तरह, ये मच्छर भी अक्सर रात के समय में काटते हैं। गंदगी और पानी के जमाव वाले स्थानों पर ये मच्छर पनपते हैं।
फाइलेरिया में क्या दिक्कतें होती हैं?
शुरुआत में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन धीरे-धीरे बुखार, दर्द और सूजन बनी रहती है। समय के साथ हाथ-पैर में सूजन बढ़ने लगती है। पुरुषों के अंडकोश (स्क्रोटम) में पानी भर जाता है, जिसे हाइड्रोसील कहते हैं। लंबे समय तक इलाज न होने पर पैर हाथी के जैसा लगने लगता है।
जो लोग उन स्थानों पर रहते हैं जहां यह बीमारी फैली हुई है या जहां गंदा पानी, खुले नाले और ज्यादा मच्छर होते हैं, उनमें फाइलेरिया का खतरा अधिक होता है।
कैसे रहें सुरक्षित?
भारत सरकार हर साल फाइलेरिया की दवा एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) मुफ्त में देती है। इसमें 2 या 3 तरह की गोलियां होती हैं, जिसे साल में एक बार खाना बहुत जरूरी है। गर्भवती महिलाओं, एक साल से छोटे बच्चे और गंभीर बीमार लोगों को ये दवा नहीं दी जानी चाहिए।
जिन स्थानों पर फाइलेरिया के मामले अधिक हैं, वहां लोगों को बचाव को लेकर सावधान रहना चाहिए। हर साल सरकारी दवा जरूर लें। मच्छरों से बचे रहने के लिए मच्छरदानी, पूरी बांह के कपड़े पहनने और रिपेलेंट का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
बरसात में मच्छर बहुत बढ़ जाते हैं। इसी समय फाइलेरिया और दूसरी मच्छर वाली बीमारियों का खतरा अधिक होता है, इसलिए बचाव जरूरी है।
फाइलेरिया की रोकथाम व नियंत्रण के लिए प्रत्येक वर्ष प्रभावित क्षेत्रों में MDA (Mass Drug Administration) कार्यक्रम चलाया जाता है।
— NHM UP (@nhm_up) August 22, 2025
इस दौरान सभी लोगों को दवा दी जाती है, जिसे अवश्य सेवन करना चाहिए।
यह दवा फाइलेरिया संक्रमण से बचाती है और बीमारी के फैलाव को रोकती है।
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