कुत्ते हिंसक हैं या नहीं, यह कैसे तय होगा? सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मेनका गांधी का समाधान
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सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों पर दिए गए ताजा फैसले का पशु अधिकार कार्यकर्ता और बीजेपी नेता मेनका गांधी ने स्वागत किया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि शेल्टर होम भेजे गए सभी आवारा कुत्तों को अब वापस छोड़ दिया जाए।

मेनका गांधी ने कोर्ट के इस आदेश का समर्थन किया है कि कुत्तों के लिए विशेष खाने की जगहें बनाई जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए पहली बार संसद में 2500 करोड़ रुपये का फंड घोषित किया है।

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि कुत्ते हिंसक हैं या नहीं, यह कैसे तय होगा? मेनका गांधी ने कहा कि कुत्तों के काटने का मुख्य कारण डर और जगह बदलना है। रेबीज से पीड़ित कुत्तों को छोड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता।

कोर्ट ने यह साफ नहीं किया है कि आक्रामक कुत्ता कौन सा है। इसकी परिभाषा तय होनी चाहिए, उन्होंने कहा। हम यह तय करने का प्रयास करेंगे कि आक्रामक कुत्ते कौन हैं। कानून के अनुसार, इस मामले पर एक समिति गठित की जाती है, जो यह तय करती है कि किस तरह के व्यवहार को आक्रामक माना जाएगा।

मेनका गांधी ने आशंका जताई कि कुछ लोग कुत्तों के प्रति मित्रवत नहीं हैं और वे निर्णय में दिए गए खंड का फायदा उठाकर कुत्तों को आक्रामक बता सकते हैं, ताकि उन्हें कैद में रखा जा सके।

खाने की विशेष जगहें बनाना सही है। नगर निगम को ऐसी जगहों के लिए साइनबोर्ड भी लगाने होंगे। कोर्ट ने कहा है कि यह फैसला पूरे देश पर लागू होगा। आदेश के मुताबिक, नगर निगमों को उचित एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर बनाना होगा। 25 साल में पहली बार सरकार ने संसद में कहा है कि इस कार्यक्रम के लिए 2500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने ताजा आदेश में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त के अपने पुराने आदेश में बदलाव किया है। कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर नया निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उसी इलाके में वापस छोड़ा जाएगा, लेकिन रेबीज से पीड़ित या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को अलग रखा जाएगा।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खाना नहीं दिया जाएगा। इसके बजाय, विशेष खाने की जगहें बनाई जाएंगी। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को निर्देश दिया गया है कि वह अपने वार्डों में खाने की जगहें बनाए।

इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने कहा कि पशु प्रेमी एमसीडी के सामने कुत्तों को गोद लेने के लिए आवेदन दे सकते हैं।

राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने पर विचार करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पशुपालन विभाग के सचिवों को नोटिस जारी किया है।

कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को आदेश दिया है कि वह उन सभी हाई कोर्ट से जानकारी ले, जहां आवारा कुत्तों से संबंधित याचिकाएं लंबित हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की वकील और याचिकाकर्ता ननिता शर्मा ने इस फैसले को संतुलित बताते हुए इसकी तारीफ की।

सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश में क्या कहा गया था?

11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के सभी इलाकों को आवारा कुत्तों से मुक्त करना होगा और इसमें कोई समझौता नहीं होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि किसी भी पकड़े गए कुत्ते को सड़कों पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा।

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