मध्य प्रदेश के कटनी की रहने वाली अर्चना तिवारी, जो लगभग 13 दिनों से लापता थी, पुलिस ने उसे ढूंढ निकाला है। जीआरपी (GRP) ने अर्चना को कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उसके परिजनों को सौंप दिया।
मीडिया से बचाने के लिए, अर्चना को भोपाल के बाहरी इलाके 11 मील तक ले जाया गया, जहां गुपचुप तरीके से उसे परिजनों के हवाले कर दिया गया। परिजनों ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
जीआरपी पुलिस अधीक्षक राहुल लोढ़ा ने अर्चना तिवारी के लापता होने के पीछे की वजह बताई है। उनके अनुसार, लड़की के परिजन उस पर शादी का दबाव बना रहे थे, यहां तक कि उसकी शादी भी तय कर दी थी। इसी कारण उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर भागने का प्लान बनाया।
लोढ़ा ने बताया कि 7 और 8 अगस्त की दरमियानी रात इंदौर-बिलासपुर ट्रेन से अर्चना तिवारी लापता हो गई थी। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से ही पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। आखिरकार लड़की नेपाल बॉर्डर के पास मिल गई।
अर्चना तिवारी कटनी की रहने वाली हैं और उन्होंने वहां से ग्रेजुएशन किया है। वह छात्रा नेता भी रही हैं। जबलपुर में वकालत की प्रैक्टिस करने के बाद, वह पिछले एक साल से इंदौर में वकालत कर रही थीं। इसी दौरान उनके घरवाले उनकी शादी कराना चाहते थे, जबकि वह अभी शादी नहीं करना चाहती थीं। जनवरी में इंदौर में उनकी दोस्ती सारांश जोगचंद से हुई।
घटना से पहले अर्चना के घरवालों ने एक पटवारी लड़के से उनका रिश्ता तय कर दिया था, जिसके कारण परिवार में काफी मनमुटाव हुआ। परिवार वालों ने उनसे पढ़ाई छोड़कर वापस आने और शादी के बाद ससुराल जाने के लिए कहा। परिजनों की बातों से परेशान होकर उन्होंने अपने दोस्त सारांश से बात की। फिर तेजिंदर सिंह, सारांश और अर्चना ने हरदा में भागने की योजना बनाई, ताकि एक नई पहचान के साथ जिंदगी शुरू की जा सके।
सारांश और अर्चना के ट्रेन से भागने के लगभग एक घंटे बाद, तेजिंदर को दिल्ली पुलिस अपने साथ ले गई, क्योंकि उस पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज था। अर्चना ने अपना सारा सामान ट्रेन की सीट पर छोड़ दिया था, ताकि पुलिस को लगे कि वह कहीं गिर गई है, भागी नहीं। जब मामला तूल पकड़ने लगा, तो इन लोगों ने देश छोड़ने का फैसला कर लिया।
बार-बार शादी के लिए दबाव डाले जाने से परेशान होकर अर्चना तिवारी 7 अगस्त को इंदौर से कटनी के लिए रवाना हुई। उन्होंने तय किया कि जब तक वह सिविल जज नहीं बन जाती, तब तक न ही वह घर जाएंगी और न ही शादी करेंगी।
अर्चना ने इटारसी पहुंचने से पहले अपने एक क्लाइंट तेजेंद्र सिंह से संपर्क किया। फिर उन्होंने अपने दोस्त सारांश को भी वहीं बुलाया। उन्होंने जहां सीसीटीवी न हो वहां उतरने की प्लानिंग की। तेजेंद्र इटारसी में उसे सारांश के पास छोड़कर रुका। सारांश की कार से अर्चना पहले शुजालपुर पहुंची, फिर इंदौर के लिए निकली।
परिवार के इंदौर पहुंचने के संदेह के चलते वह हैदराबाद चली गई। वहां 2-3 दिन रुकने के बाद वह 11 अगस्त को दिल्ली पहुंची। इसके बाद टैक्सी से नेपाल के धनगढ़ी गई और फिर वहां से काठमांडू पहुंची। सारांश ने काठमांडू में अर्चना के एक होटल में रुकने का बंदोबस्त अपने परिचित के जरिये किया, साथ ही उसे नेपाल की सिम दिलाई। वह व्हाट्सएप के जरिये सारांश से संपर्क में थी, जिसके बाद पुलिस सारांश के जरिये अर्चना तक पहुंची।
*#WATCH | Bhopal, Madhya Pradesh | GRP Superintendent of Police (SP), Rahul Lodha said, On the intervening night of 7th and 8th August, a girl named Archana Tiwari went missing from Indore-Bilaspur train... Today, finally, the girl has been found near the Nepal border... Her… pic.twitter.com/C8p2uwUrUY
— ANI (@ANI) August 21, 2025
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