अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार पाने के लिए बहुत उत्सुक हैं. वह पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से किसी भी तरह से पीछे नहीं रहना चाहते.
ट्रंप ओबामा की तरह दो बार राष्ट्रपति तो बन गए हैं. अब वह उन्हीं की तरह नोबेल शांति पुरस्कार भी हासिल करना चाहते हैं. इसके लिए उन्हें पाकिस्तान और इजराइल जैसे देशों का साथ भी मिल गया है.
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्रंप ने नॉर्वे के वित्त मंत्री को फोन कर नोबेल शांति पुरस्कार की मांग की है. आखिर ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इतने आतुर क्यों हैं? इसकी प्रक्रिया क्या है?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों की श्रेणी में आना: अमेरिका के इतिहास में अब तक चार राष्ट्रपतियों को यह पुरस्कार मिला है: बराक ओबामा, टी. रूजवेल्ट, वुडरो विल्सन और जिमी कार्टर. ट्रंप भी इसी श्रेणी में आना चाहते हैं.
ओबामा से प्रतिद्वंद्विता: ट्रंप हमेशा से बराक ओबामा से मुकाबला करते दिखे हैं. दो बार राष्ट्रपति बनकर उन्होंने ओबामा की बराबरी कर ली है, और अब वह उन्हीं की तरह नोबेल शांति पुरस्कार भी पाना चाहते हैं.
इजराइल और पाकिस्तान का समर्थन: पाकिस्तान, कंबोडिया और इजराइल अपने हितों के लिए ट्रंप को इस पुरस्कार के योग्य बता रहे हैं. पाकिस्तान ने भारत-पाकिस्तान सैन्य झड़प के दौरान ट्रंप द्वारा मध्यस्थता करने का दावा किया है. वहीं, इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू गाजा पर हमलों के लिए हथियारों की आपूर्ति अमेरिका से करा रहे हैं, इसलिए वो भी ट्रंप को शांति दूत बनाने पर तुले हैं.
हर महीने शांति पहल का दावा: व्हाइट हाउस का कहना है कि ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने हर महीने औसतन एक शांति समझौता या युद्धविराम कराया है. उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में अपनी भूमिका का भी जिक्र किया है.
अपने मुंह मियां मिट्ठू: ट्रंप अक्सर नोबेल शांति पुरस्कार को लेकर अपनी तारीफ करते हैं. वह ऐसे दिखावा करते हैं कि दुनिया उन्हें शांति का मसीहा मानती है, भले ही उन्हें पुरस्कार न मिले.
नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन हर साल 1 फरवरी तक किए जा सकते हैं. देशों के राष्ट्राध्यक्ष, नोबेल पुरस्कार विजेता, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, संसद सदस्य, जज और कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सदस्य किसी को नामांकित कर सकते हैं. कोई भी व्यक्ति खुद को नामांकित नहीं कर सकता.
नामांकन के बाद एक समिति नामांकनों की जांच करती है, नामों को शॉर्टलिस्ट करती है, विशेषज्ञों की सलाह लेती है, और फिर विजेता का चयन करती है. विजेताओं की घोषणा अक्टूबर में होती है और पुरस्कार 10 दिसंबर को दिए जाते हैं.
रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप नॉर्वे पर दबाव बना रहे हैं कि उन्हें शांति पुरस्कार दिया जाए और उन्होंने नॉर्वे के वित्त मंत्री को फोन पर धमकी भी दी है कि अगर उन्हें पुरस्कार नहीं मिला तो नॉर्वे पर भारी भरकम टैरिफ लगा देंगे.
Trump couldn’t get a deal with Putin (duh).
— Kaivan Shroff (@KaivanShroff) August 15, 2025
Anyways, here’s Obama with his Nobel Peace Prize. pic.twitter.com/4RyEk62Vn4
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