किश्तवाड़ में तबाही: बादल फटने से 60 की मौत, 100 से ज्यादा लापता, मलबे में खून से सने शव
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किश्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। अब तक 60 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 100 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। बचाव कार्य जारी है।

पड्डर सब-डिवीजन में स्थित चशोटी गांव मचैल माता मंदिर यात्रा का शुरुआती बिंदु है। घटना के समय, यहां श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और कई दुकानें मौजूद थीं, जो सभी बाढ़ में बह गईं।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बादल फटते ही पानी तेजी से आया और लोगों को संभलने का मौका भी नहीं मिला। कई लोग बह गए।

किश्तवाड़ के डिप्टी कमिश्नर पंकज शर्मा ने बताया कि एनडीआरएफ की टीम सर्च-रेस्क्यू में जुटी है। सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियां भी ऑपरेशन में सहायता कर रही हैं।

चसोटी से रेस्क्यू किए गए राकेश शर्मा ने बताया कि वे अपने बच्चे के साथ मलबे में दब गए थे, लेकिन ऊपर लकड़ी का एक बड़ा टुकड़ा गिरने से उनकी जान बच गई।

चसोटी गांव किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है और मचैल माता मंदिर के रास्ते पर पहला गांव है। यह पड्डर घाटी में स्थित है।

मचैल माता तीर्थयात्रा हर साल अगस्त में होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

किश्तवाड़ आपदा के पीड़ित राकेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने लंगर में प्रसाद खाया था और जैसे ही सड़क पार करने वाले थे, अचानक तेज आवाज आई। उन्होंने मलबा गिरते देखा और लोगों को भागने के लिए चिल्लाते सुना। बच्चे को बचाने की कोशिश में मलबा उन पर गिर गया, लेकिन एक बड़ा लकड़ी का टुकड़ा ढाल बनकर उनकी जान बचा गया। राकेश शर्मा का मानना है कि अभी भी कम से कम 60-70 लोग मलबे में दबे हो सकते हैं।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, त्रासदी के दृश्य डरावने हैं। मलबे में कई शव खून से सने मिले। लोगों के फेफड़ों में कीचड़ भरा हुआ था। टूटी पसलियां और अंग बिखरे पड़े थे।

स्थानीय निवासियों, सेना के जवानों और पुलिस ने घायलों को कीचड़ भरे इलाके से खोदकर अपनी पीठ पर लादकर अस्पताल पहुंचाया।

एक स्थानीय निवासी ने बताया कि 14 अगस्त को दोपहर करीब 1 बजे तेज धमाके जैसी आवाज हुई और लोग चीखने लगे। उन्होंने लोगों को घबराहट में भागते देखा।

आपदा में एक पीड़िता ने भावुक होकर बताया कि कई लोगों के पास छोटे-छोटे बच्चे थे, जो मलबे में फंस गए। कई बच्चों की गर्दन मुड़ गई तो कई बच्चों के पैर कट गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किश्तवाड़ में बादल फटने से हुई त्रासदी पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

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