अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के अजीबोगरीब फैसलों ने दुनिया भर में उनकी समझदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक तरफ वो दुनिया की 6 जंग खत्म करवाने का श्रेय लेकर नोबेल पुरस्कार चाहते हैं, तो दूसरी तरफ रूस के खिलाफ आक्रामकता दिखाकर परमाणु तनाव बढ़ा रहे हैं. ऐसे में उन्हें एक गंभीर और दूरदर्शी नेता नहीं माना जा सकता.
रूस ने भी तुरंत ट्रंप की इस हरकत का जवाब दिया. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रंप के एटम बम का डीएनए टेस्ट कर दिया है, जैसा कि कहा जा सकता है.
ट्रंप ने हाल ही में एक परमाणु पनडुब्बी तैनात करने जैसा कदम उठाया है. रूस ने इसके जवाब में दो परमाणु पनडुब्बियां तैनात करने का आदेश दिया है. इस कदम से मॉस्को के साथ तनाव भड़क सकता है. परमाणु ईंधन या हथियारों से लैस पनडुब्बी पर सस्पेंस बना हुआ है. रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने जुबानी जंग के दौरान परमाणु हथियारों की याद दिलाई थी. जिसके बाद माना जा रहा है कि ट्रंप ने सुरक्षा के नाम पर परमाणु पनडुब्बी तैनात की है.
अमेरिका की परमाणु पनडुब्बी की ताकत की बात करें तो ये परमाणु हमले के बाद जवाबी हमले की गारंटी मानी जाती है. अमेरिका के पास कुल 14 ओहायो क्लास की बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां हैं. ये परमाणु पनडुब्बियां अमेरिका की न्यूक्लियर ट्रायड का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
एक ओहायो क्लास पनडुब्बी 24 ट्राइडेंट-II D5 बैलिस्टिक मिसाइलें ले जा सकती है. इस मिसाइल की रेंज करीब 7400 किलोमीटर है. यह पनडुब्बी रूस के सभी बड़े शहरों को निशाना बना सकती है. इन मिसाइलों में MIRV तकनीक है, जिससे एक मिसाइल से कई अलग-अलग टारगेट्स पर परमाणु हमला किया जा सकता है. एक ट्राइडेंट मिसाइल में 8 थर्मोन्यूक्लियर वारहेड्स लगाए जा सकते हैं. हर एक वारहेड की क्षमता करीब 100 से 475 किलोटन होती है. जबकि अमेरिका ने हिरोशिमा पर जो बम गिराया था, उसकी ताकत सिर्फ 15 किलोटन थी. यानी अमेरिका की ये पनडुब्बी रूस के कई शहरों को एक साथ तबाह कर सकती है. इसलिए ट्रंप की इस कार्रवाई को उकसावे वाली कार्रवाई कहा जा रहा है.
पुतिन ऐसी कार्रवाई से निपटने के माहिर माने जाते हैं. रूस ने भी अमेरिका के इस कदम का फौरन जवाब दिया है. लेकिन इस छोटे मामले पर बोलने खुद पुतिन नहीं आए. रूस के एक वरिष्ठ सांसद विक्टर वोडोलात्स्की ने जवाब देते हुए कहा कि विश्व महासागर में रूसी परमाणु पनडुब्बियों की संख्या अमेरिकी पनडुब्बियों से कहीं ज्यादा है. ट्रंप की भेजी गई दोनों पनडुब्बियों से निपटने के लिए समुद्र में पर्याप्त रूसी परमाणु पनडुब्बियां मौजूद हैं. जिस इलाके में ट्रंप ने पनडुब्बी भेजी है, उस पर उनका कब्जा है. इसलिए पनडुब्बियों के बारे में रूस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है.
रूस के सांसद ने साफ़ कर दिया कि अमेरिका जो कर रहा है, रूस उससे निपटने का इंतज़ाम हमेशा रखता है. ट्रंप की पनडुब्बी वाली धमकी से रूस को कोई फर्क नहीं पड़ता.
परमाणु हथियारों की संख्या में रूस, अमेरिका से आगे है. अमेरिका के पास 5428 परमाणु हथियार हैं, जबकि रूस के पास 5580. अमेरिका के 1644 परमाणु हथियार तैनात हैं, जबकि रूस के 1710. यानी परमाणु युद्ध हुआ तो रूस का जवाब कहीं ज्यादा खतरनाक होगा.
अमेरिका के पास 14-15 परमाणु पनडुब्बियां हैं, वहीं रूस के पास 15-16 हो सकती हैं. यानी समुद्र में सबमरीन वाली ताकत में भी रूस अमेरिका से आगे साबित होगा. यही वजह है कि ट्रंप की परमाणु धमकी का रूस पर कोई असर नहीं पड़ रहा.
रूस से परमाणु संघर्ष भड़काने की कोशिश करना बेवकूफी भरा आइडिया है. ये सच्चाई दोनों देश जानते हैं. जुबानी जंग, परमाणु जंग में आसानी से नहीं बदलेगी, फिर भी अगर सुपरपावर राष्ट्रपति इस तरह की हरकतें करेगा तो दो महाशक्तियों के बीच गलतफहमियां बढ़ जाएंगी, जो दुनिया के हित में नहीं होगा.
#DNA | ट्रंप की परमाणु सबमरीन का रास्ता कठिन! पुतिन ने कैसे निकाली ट्रंप की दबंगई ?#DonaldTrump #VladimirPutin #USA #Russia @pratyushkkhare pic.twitter.com/LuNjNECAYI
— Zee News (@ZeeNews) August 2, 2025
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