रूस में शक्तिशाली भूकंप: क्या रिंग ऑफ फायर ने मचाई तबाही?
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रूस के कामचटका प्रायद्वीप में बुधवार की सुबह धरती कांप उठी। रिक्टर स्केल पर 8.8 की तीव्रता वाले भूकंप ने इलाके को दहला दिया। यह 1952 के बाद इस क्षेत्र में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था।

भूकंप के तुरंत बाद सुनामी की चेतावनी जारी की गई। समुद्र तटों पर ऊंची लहरें उठने लगीं, जिससे लोगों में दहशत फैल गई और वे सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे। यह भूकंप, मानो प्रकृति का प्रकोप था, जिसने लोगों को अपनी सीमाओं का एहसास कराया।

रूसी साइंस अकादमी की जियोफिजिक्स सर्विस ने चेतावनी दी है कि खतरा अभी टला नहीं है। आने वाले दिनों में 7.5 तीव्रता तक के आफ्टरशॉक्स महसूस किए जा सकते हैं, जो कम से कम एक महीने तक जारी रह सकते हैं। इन झटकों से इमारतों को नुकसान हो सकता है और लोगों के दिलों में डर बना रहेगा। विशेषज्ञों ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।

इस विनाशकारी भूकंप के पीछे रिंग ऑफ फायर को वजह बताया जा रहा है।

प्रशांत महासागर के चारों ओर फैला रिंग ऑफ फायर धरती की सबसे सक्रिय टेक्टॉनिक प्लेटों का केंद्र है। यह क्षेत्र लगभग 40,000 किलोमीटर तक फैला हुआ है और दुनिया के 90% भूकंप यहीं आते हैं। इसके अलावा, विश्व के 75% सक्रिय ज्वालामुखी भी इसी क्षेत्र में स्थित हैं।

जापान, रूस, अमेरिका, चिली, फिलीपींस, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड जैसे कई देश रिंग ऑफ फायर पर बसे हैं। इन देशों के लिए यह इलाका हमेशा एक अस्थिर भूगर्भीय खतरे की तरह है।

रिंग ऑफ फायर को लिथोस्फेरिक प्लेट्स की टकराहट और हलचल का बड़ा उदाहरण माना जाता है। जब भी यहां से ऊर्जा निकलती है, वह भूकंप और ज्वालामुखी के रूप में धरती को हिला देती है। कामचटका का भूकंप इसी श्रृंखला का एक और भयानक अध्याय है। यह हमें याद दिलाता है कि प्रकृति की ताकत के आगे हमारी शक्ति बहुत कम है।

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