राजस्थान के झालावाड़ जिले में एक स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की दुखद मौत हो गई है। इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है, खासकर उन परिवारों को जिनके बच्चे जर्जर हालत वाले सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं।
इस हादसे के लिए जिला प्रशासन और सरकार पर बड़ी लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि जब स्कूल की इमारत जर्जर थी तो उसमें कक्षाएं क्यों चलाई जा रही थीं।
शनिवार को, झालावाड़ में इस दर्दनाक घटना के अगले दिन, भरतपुर में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का जोरदार स्वागत किया गया। जघीना पहुंचने पर कार्यकर्ताओं ने उनका ढोल-नगाड़ों से स्वागत किया, फूल बरसाए और उन्हें 51 किलो फूलों की माला पहनाई। इन तस्वीरों के सामने आते ही मंत्री दिलावर विवादों में घिर गए और सोशल मीडिया पर उनकी खूब आलोचना हुई।
कांग्रेस ने भी मंत्री दिलावर पर हमला बोला है। कांग्रेस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भाजपा नेतृत्व संवेदनहीनता की हदें पार कर चुका है। जहाँ एक ओर झालावाड़ में सरकारी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण स्कूल की छत गिरने से सात मासूम बच्चों की चिताएं जल रही थीं, वहीं दूसरी ओर भरतपुर में राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ढोल-नगाड़ों और फूलों की वर्षा के बीच भव्य स्वागत में व्यस्त थे।
भरतपुर में हुए स्वागत विवाद को लेकर सवाल पूछे जाने पर मंत्री दिलावर ने कहा कि उन्होंने कहीं भी स्वागत का आग्रह नहीं किया था। उन्होंने कहा कि लोगों ने किया, लेकिन उन्होंने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वह 36 सालों से माला नहीं पहनते हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्कूल हादसे की नैतिक जिम्मेदारी ली है। उन्होंने प्रदेश के जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत कार्य में तेजी लाने और निगरानी का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा कि हादसे वाला स्कूल उन जर्जर भवनों की सूची में शामिल नहीं था, जो मरम्मत के लिए मंत्रालय को भेजी गई थी। यही कारण है कि यह चूक हुई।
उन्होंने बताया कि इस स्कूल की एक साल पहले 1 लाख रुपये में मरम्मत भी कराई गई थी, लेकिन दीवारें जर्जर थीं, जिसके चलते यह हादसा हो गया। उन्होंने कहा कि जब विभाग में अच्छा काम होता है, तो वह उसकी जिम्मेदारी लेते हैं। जब दुखद घटना होती है, तो वह भी उनकी जिम्मेदारी है।
मंत्री दिलावर ने बताया कि पिछले साल 82 करोड़ रुपये स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए स्वीकृत किए गए थे, जबकि इस साल यह राशि बढ़ाकर 175 करोड़ रुपये कर दी गई है। उन्होंने कहा कि असुरक्षित स्कूल भवनों की मरम्मत अब प्राथमिकता के साथ की जाएगी और उसकी लगातार निगरानी भी की जाएगी।
इस घटना के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए हैं कि वे स्कूलों और बच्चों से जुड़ी सभी सुविधाओं का अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट कराएं और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
*ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा भाजपा नेतृत्व संवेदनहीनता की हदें पार कर चुका है।
— Rajasthan PCC (@INCRajasthan) July 26, 2025
जहाँ एक ओर झालावाड़ में सरकारी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण स्कूल की छत गिरने से सात मासूम बच्चों की चिताएं जल रही थीं, वहीं दूसरी ओर भरतपुर में राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ढोल-नगाड़ों और… pic.twitter.com/wfPsZX7bZE
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