जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे दिया. यह घोषणा संसद के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन हुई. उन्होंने राज्यसभा के सभापति के तौर पर कार्यवाही का संचालन किया, लेकिन उसी रात उनके इस्तीफ़े की खबर आई.
धनखड़ ने अपने इस्तीफ़े में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन विपक्ष और कई राजनीतिक विश्लेषक इस बात से सहमत नहीं हैं. उनका मानना है कि इस्तीफ़े के पीछे कुछ और भी कारण हो सकते हैं.
इस महीने की शुरुआत में ही धनखड़ ने कहा था कि वह अगस्त 2027 में रिटायर होंगे. उपराष्ट्रपति सचिवालय ने उनके जयपुर दौरे की घोषणा भी की थी. इस्तीफ़े वाले दिन उन्होंने तीन बैठकों की अध्यक्षता भी की, जिनमें शामिल सांसदों को उनके इस्तीफ़े का अंदेशा नहीं था.
बीबीसी के पूर्व संपादक संजीव श्रीवास्तव के अनुसार, जो कुछ भी हुआ, वह शाम 4 बजे से 8 बजे के बीच हुआ. बीजेपी नेताओं की अनुपस्थिति में उन्होंने बीएसी की दूसरी मीटिंग की.
वरिष्ठ पत्रकार श्रीपर्णा चक्रवर्ती का मानना है कि सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच कुछ असहमति थी. उन्हें सूत्रों के हवाले से पता चला है कि सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच मतभेद थे.
संजीव श्रीवास्तव के अनुसार, धनखड़ को हटाने की बात चल रही थी. उन्हें एक फ़ोन आया, जिसमें पीएम के प्रतिनिधि ने कहा कि सरकार उनसे नाराज़ है. इसके जवाब में धनखड़ ने इस्तीफ़ा देने की बात कही और दूसरी तरफ़ से उन्हें मनाने का कोई प्रयास नहीं हुआ.
वरिष्ठ पत्रकार सबा नक़वी का कहना है कि धनखड़ ने पश्चिम बंगाल के गवर्नर के तौर पर बीजेपी के लिए काम किया, जिसके बाद उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया गया. जब तक वह बीजेपी का काम कर रहे थे, तब तक कोई समस्या नहीं थी.
श्रीपर्णा चक्रवर्ती के अनुसार, उपराष्ट्रपति होने के नाते धनखड़ कुछ विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से मिलना चाहते थे, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया. किसानों के मुद्दों को लेकर भी उनके विचार सरकार से अलग थे.
धनखड़ की न्यायपालिका के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी भी मोदी सरकार के साथ रिश्ते बिगड़ने की एक वजह मानी जा रही है. संजीव श्रीवास्तव का मानना है कि यह धनखड़ की सबसे बड़ी ग़लती थी.
राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में विपक्ष के प्रस्ताव को मंज़ूरी देना भी उनके इस्तीफ़े का कारण माना जा रहा है, क्योंकि मोदी सरकार इस मामले को अपने ढंग से डील करना चाहती थी.
धनखड़ के इस्तीफ़े के बाद विपक्षी दलों के बयानों से लगा कि उन्हें भी इसका अंदाज़ा नहीं था. विपक्ष ने दिसंबर 2024 में धनखड़ के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया था.
संजीव श्रीवास्तव के मुताबिक़ अगला उपराष्ट्रपति कोई भी हो सकता है. सरकार हमेशा सरप्राइज़ देना चाहती है, इसलिए जिनके नाम चर्चा में हैं, उनके उपराष्ट्रपति बनने की संभावना कम है. नीतीश कुमार को भी उपराष्ट्रपति बनाए जाने की संभावना कम है.
श्रीपर्णा चक्रवर्ती का कहना है कि कांग्रेस की ओर से जो भी उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार होगा, उसे पूरे इंडिया ब्लॉक का समर्थन होगा. सबा नक़वी के अनुसार, बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के एक-दो लोग इसका फ़ैसला लेंगे, लेकिन वे इसके लिए आरएसएस की भी राय लेंगे.
— Vice-President of India (@VPIndia) July 21, 2025*
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