साल 2006 में हुए मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में कोर्ट ने 19 साल बाद 12 आरोपियों को रिहा किया है. सबूतों के अभाव में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है, जिसपर अब समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी ने खुशी जताई है.
साथ ही इस बात पर नाराजगी दिखाई है कि पुलिस ऐसे हमलों में हमेशा मुसलमानों को बिना सबूत के जेल में डाल देती है.
एक वीडियो जारी करते हुए अबू आजमी ने कहा, मेरे लिए बहुत खुशी का दिन है. मुंबई सीरियल ब्लास्ट में जिन लोगों को गिरफ्तार किया था, वे बेकसूर थे. यह मैं पहले दिन से कह रहा था. हमेशा से कह रहा था कि गलत लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बहुत दिनों तक इस मामले में कोई अरेस्ट नहीं हुआ.
गिरफ्तार आरोपियों में से कोई उस दिन ट्रेन के करीब नहीं था
अबू आजमी ने कहा, फिर अचानक ATS के चीफ और डीजी, दोनों ने कहा कि हमें सुराग मिल गया है. इसमें बेगुनाहों को 19 साल तक जेल में रखा गया. 5-6 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई. मुझे वह दिन आज भी याद है जब यह कहा गया था कि इनके टेलीफोन रिकॉर्ड लाओ, तो सब क्लियर हो जाएगा लेकिन पुलिस वो कॉल रिकॉर्ड लाने के लिए भी तैयार नहीं थी. कह रही थी कि इसमें बहुत बड़ा खर्च है. इसके लिए हाई कोर्ट जाना पड़ा, कोर्ट के ऑर्डर पर जाकर कॉल रिकॉर्ड आया. तब पता चला कि इनमें से एक भी शख्स ट्रेन के अगल-बगल नहीं था.
अबू आजमी ने कहा कि 19 साल की बर्बादी के बाद मिला इंसाफ क्या यही न्याय है. उन्होंने कहा कि वो पहले दिन से कह रहे हैं कि 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट में बेकसूर लोगों को गिरफ्तार किया गया था. आज, जब कोर्ट ने उन्हें 19 साल बाद बाइज्जत बरी कर दिया है, तो यह इंसाफ जरूर है, लेकिन बेहद देर से मिला हुआ है.
मुसलमानों को नहीं मिलता इंसाफ
महाराष्ट्र के सपा अध्यक्ष ने कहा, जिस तरह से मुसलमानों के साथ आज पुलिस का रवैया है, मैं समझता हूं कि यह बहुत ही गलत है और देश को बांटने वाला है. देश के संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जहां भी ब्लास्ट होता है, बेकसूर मुसलमानों को जेल भेज दिया जाता है. आज भी कितने मुसलमान जेल में बेकसूर पड़े हैं. देश में इंसाफ खत्म हो चुका है.
बेगुनाहों को जेल में डालने वालों पर हो कार्रवाई
अबू आजमी ने सरकार से भी अपील की. उन्होंने कहा, मैं कहना चाहता हूं कि सरकार को इस मामले में तुरंत एसआईटी का गठन करना चाहिए. अगर ये 19 लोग छूट गए हैं तो फिर ब्लास्ट का असल दोषी कौन है? कोई न कोई तो था, जिसने ब्लास्ट किया था. बेकसूरों को जेल में डालकर आपने मामले पर पर्दा डाल दिया.
उन्होंने आगे कहा, अगर देश में इंसाफ है और डॉ. भीमराव अंबेडकर का कानून यहां चलता है तो तुरंत उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. अगर वे रिटायर हो चुके हैं तो उनकी पेंशन बंद होनी चाहिए. उनपर मुकदमा चलना चाहिए और बेकसूरों को 19 साल का हर्जाना मिलना चाहिए.
खौफनाक था मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट
11 जुलाई 2006 को मुंबई में हुआ ट्रेन ब्लास्ट भारत के इतिहास में एक बड़ा आतंकी हमला था. इसमें मुंबई की लोकल ट्रेनों को निशाना बनाया गया था. हमले में 7 जगहों पर लगभग 11 मिनट के अंदर बम धमाके हुए थे.
तारीख: 11 जुलाई 2006 समय: शाम 6:24 बजे से 6:35 बजे तक जगह: मुंबई उपनगरीय रेलवे की पश्चिम लाइन
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट की टाइमलाइन
19 साल की बर्बादी के बाद मिला इंसाफ – क्या यही न्याय है?
— Abu Asim Azmi (@abuasimazmi) July 21, 2025
मैं पहले दिन से कहता आ रहा हूँ कि 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट में बेकसूर लोगों को गिरफ्तार किया गया था। आज, जब कोर्ट ने उन्हें 19 साल बाद बाइज्जत बरी कर दिया है, तो यह इंसाफ जरूर है, लेकिन बेहद देर से मिला हुआ… pic.twitter.com/eOgvjpZsUr
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