बिहार के गया जिले के गहलौर गांव के पर्वत पुरुष दशरथ मांझी ने वह कर दिखाया जो नामुमकिन माना जाता था। पत्नी की मृत्यु के बाद उन्होंने 22 साल तक छेनी-हथौड़ी से पहाड़ काट डाला, ताकि किसी और को इलाज के लिए पहाड़ पार न करना पड़े।
उनका संघर्ष इच्छाशक्ति और सामाजिक उपेक्षा के टकराव की मिसाल है। लेकिन अफसोस की बात है कि देश को राह दिखाने वाला मांझी का परिवार आज तक बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहा।
वर्षों तक नेताओं ने फोटो खिंचवाई, वादे किए, मगर ज़मीनी मदद नहीं मिली। अब बदलाव की शुरुआत हुई है बिना शोर-शराबे और बिना प्रचार के।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दशरथ मांझी के परिवार के लिए पक्का घर बनवाने का बीड़ा उठाया है। वो काम जो दशकों में सरकारें नहीं कर सकीं, उसे अब मांझी के अधूरे सपनों को साकार करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
जून 2025 में राहुल गांधी बिहार दौरे के दौरान गहलौर गांव पहुंचे। उन्होंने दशरथ मांझी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार से मिले।
मांझी के बेटे भगीरथ मांझी और उनके परिजनों से उन्होंने मिट्टी के घर में बैठकर मुलाकात की। न कोई कैमरा, न कोई भाषण, सिर्फ एक मानवीय जुड़ाव। परिवार को इस बात का अंदाज़ा तक नहीं था कि राहुल गांधी उनकी ज़िंदगी बदलने जा रहे हैं।
दिल्ली वापसी के 10 दिन के भीतर, राहुल गांधी की टीम चुपचाप गांव पहुंची और सर्वेक्षण शुरू कर दिया बिना यह बताए कि यह सर्वे राहुल गांधी के निर्देश पर हो रहा है।
दशरथ मांझी के पुत्र भगीरथ मांझी ने कहा, राहुल गांधी हमारा घर बनवा रहे हैं। कई नेताओं ने वादा किया, मगर राहुल गांधी पूरा कर रहे हैं।
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के निगरानी में निर्माण हो रहा है। भगीरथ मांझी ने बताया कि टीम आई और ज़रूरतें पूछीं, फिर दो दिन में इंजीनियर और ठेकेदार लेकर काम शुरू कर दिया। तब जाकर पता चला कि ये राहुल गांधी जी के निर्देश पर हो रहा है।
चार कमरों का करीब एक कट्ठा ज़मीन पर पक्का मकान बन रहा है, जिसमें चार कमरे, एक छोटा हॉल (8x8), एक किचन और एक बड़ा बाथरूम होगा। इस परियोजना की निगरानी बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम कर रहे हैं।
गहलौर गांव दशकों से सुर्खियों में रहा - कभी दशरथ मांझी के साहस के लिए, तो कभी नेताओं और सेलिब्रिटीज़ के फोटोशूट्स के लिए। मांझी के जीवन पर फिल्में बनीं, नेता आए, भाषण हुए, श्रद्धांजलि दी गई, लेकिन उनके परिवार की हालत जस की तस रही।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दशरथ मांझी की विरासत को सम्मान देने की कई कोशिशें ज़रूर कीं - गहलौर घाटी का नामकरण, स्मारक निर्माण, सड़क का शिलान्यास, लेकिन मांझी के परिवार की असली ज़रूरतें कभी केंद्र में नहीं रहीं।
उनके ही नाम पर मुख्यमंत्री रहे जीतनराम मांझी, जो स्वयं दलित राजनीति के प्रतीक माने जाते हैं, वे भी इस परिवार की बदहाली बदलने में कोई स्थायी बदलाव नहीं ला सके। सालों तक मांझी परिवार का कच्चा घर सरकारों की उदासीनता और सिस्टम की संवेदनहीनता का गवाह बना रहा।
“… @RahulGandhi हमारा घर बनवा रहे हैं
— Supriya Bhardwaj (@Supriya23bh) July 20, 2025
कई नेताओं ने वादा किया, मगर राहुल गांधी पूरा कर रहे हैं …”
- श्री दशरथ मांझी जी के पुत्र श्री भगीरथ मांझी जी
ना जुमलेबाज़ी, ना प्रचार, ना Credit की चाह…Rahul Gandhi जी चुप चाप अपना फ़र्ज़ निभाते है, लोगों की समस्याओं को हल करते है… pic.twitter.com/3FwH0mBhAn
सूरत में सनसनी: मावा लेने भेजा, खुद ट्रक के नीचे कूदा, CCTV में कैद मौत!
इंडोनेशिया में यात्री जहाज में भीषण आग, 300 से अधिक लोग खतरे में
देश के लिए यही सही : कांग्रेस के साथ रिश्ते पर बोले सांसद शशि थरूर
इस्कॉन मंदिर के रेस्टोरेंट में चिकन! शख्स की हरकत से भड़के लोग
ऋषभ पंत: मैनचेस्टर में सहवाग-रोहित का महारिकॉर्ड तोड़ने को तैयार!
हाथ में हाथ डाले पेंगुइन कपल का रोमांटिक वॉक, इंटरनेट पर छाया सच्चे प्यार का वीडियो!
योगी राज में ज़मीन पर सांस! आज़मगढ़ अस्पताल का वीडियो वायरल, अखिलेश यादव ने घेरा
छोरी को बिगाड़ोगे, ब्याह कौन करेगा इससे? - CM रेखा गुप्ता ने सुनाया मजेदार किस्सा
मुंबई आओ, समुंदर में डुबो-डुबो कर मारेंगे : राज ठाकरे का निशिकांत दुबे को करारा जवाब
नीतीश के मुफ्त बिजली वादे पर यूपी के ऊर्जा मंत्री का तंज: बिजली आएगी तभी तो मुफ्त होगी!