ब्रिक्स पर ट्रंप की खिल्ली , रूस-भारत-चीन की तिकड़ी का क्या है इरादा?
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर बिना नाम लिए निशाना साधा है और टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि यह समूह तेजी से समाप्त हो रहा है, क्योंकि इसने अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व पर कब्जा करने की कोशिश की थी।

ट्रंप की यह धमकी ऐसे समय में आई है जब ब्रिक्स के अहम सदस्य भारत, रूस और चीन के बीच त्रिपक्षीय संबंधों को सुधारने की कवायद चल रही है। रूस लगातार भारत और चीन के बीच संबंधों को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहा है, जिस पर चीन ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा है कि चीन, रूस और भारत के बीच त्रिपक्षीय सहयोग न केवल तीनों देशों के हितों को साधता है, बल्कि क्षेत्र और विश्व में शांति, सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति को बनाए रखने में भी मदद करता है।

व्हाइट हाउस में एक बिल के बारे में जानकारी देते हुए ट्रंप ने कहा कि यह अमेरिकी डॉलर को मजबूत कर रहा है। उन्होंने ब्रिक्स का जिक्र करते हुए कहा, ब्रिक्स नाम का एक छोटा समूह है, जो तेजी से समाप्त हो रहा है। इसने डॉलर, डॉलर के प्रभुत्व और मानक पर कब्जा करने की कोशिश की। ब्रिक्स अभी भी यह चाहता है।

ट्रंप ने खिल्ली उड़ाते हुए बताया, मैंने कहा ब्रिक्स समूह में चाहे जो भी देश हों हम उन पर 10 फीसदी टैरिफ लगाने जा रहे हैं। अगले दिन उनकी बैठक थी और तकरीबन कोई नहीं आया। उन्होंने डॉलर को मजबूत करने और उसे वैश्विक मुद्रा बनाए रखने पर जोर दिया।

बीती 6 और 7 जुलाई को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। इसके बाद ट्रंप ने 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा था कि जो भी देश खुद को ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों के साथ जोड़ता है, उस पर अतिरिक्त 10 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा।

ब्रिक्स के रियो घोषणापत्र में वैश्विक शासन में सुधार करने से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता पर बात की गई थी। साथ ही इसमें एकतरफा टैरिफ और नॉन-टैरिफ जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई थी। घोषणापत्र में यह भी कहा गया था कि एकतरफा बलपूर्वक उपाय लागू करना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है और एकतरफा आर्थिक प्रतिबंध जैसी कार्रवाइयों का हानिकारक असर पड़ता है।

साल 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़े थे, जिसके बाद से आरआईसी को लेकर कोई कवायद नहीं हुई। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने के लिए पांच वर्षों में पहली बार चीन गए।

चीन ने रूस-भारत-चीन (आरआईसी) के बीच त्रिपक्षीय सहयोग आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। चीन के जानकारों ने राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भारत-अमेरिका के बीच संबंधों में आई खटास पर टिप्पणी की है।

जानकारों के मुताबिक, ब्रिक्स देश फाइनेंशियल नेटवर्क बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे अमेरिकी मुद्रा डॉलर की बादशाहत को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। साल 2023 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि वह एशिया, अफ्रीका के अलावा दक्षिण अमेरिकी देशों के साथ व्यापार अमेरिकी डॉलर की बजाय चीनी मुद्रा युआन में करना चाहते हैं।

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