धर्म के नाम पर ज़हर: मुस्लिम बुज़ुर्ग को आतंकवादी कहने पर भड़के चंद्रशेखर आज़ाद
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सीतापुर में एक बुजुर्ग मुस्लिम फेरीवाले को आतंकवादी कहे जाने पर भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने तीखा विरोध जताया है। उन्होंने इस घटना को धर्म का चोला ओढ़कर ज़हर उगलने जैसा बताया है।

अयोध्या के विवादित परमहंस दास पर आरोप है कि उन्होंने सीतापुर के मोहम्मद हनीफ नामक एक मुस्लिम बुजुर्ग को आतंकवादी कहकर अपमानित किया। मोहम्मद हनीफ चादरें बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं।

चंद्रशेखर आज़ाद ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म का चोला ओढ़कर ज़हर उगलने वाले संत नहीं, बल्कि समाज के लिए खतरा हैं।

भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी ने इस सांप्रदायिक हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कार्रवाई की मांग की है। यह घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।

चंद्रशेखर आज़ाद ने X (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो साझा करते हुए उत्तर प्रदेश की राजनीति में उबाल ला दिया है। वीडियो में, परमहंस दास, मोहम्मद हनीफ को आतंकवादी कहते हुए दिखाई दे रहे हैं।

आज़ाद ने लिखा, जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री की भाषा ही असंवैधानिक हो, वहाँ धर्म का चोला ओढ़े ठेकेदारों से इससे ज़्यादा क्या उम्मीद की जा सकती है?

सीतापुर में चादरें बेच रहे मोहम्मद हनीफ को बिना किसी सबूत के सार्वजनिक रूप से आतंकवादी कहना अमानवीय और सांप्रदायिक मानसिकता को दर्शाता है।

आज़ाद ने सवाल किया, क्या यही धर्म है? जब सोच ही इतनी ज़हरीली हो, तो ऐसे लोग धर्म और नैतिकता की बातें क्या सिखाते होंगे?

उन्होंने परमहंस दास जैसे लोगों को धर्म का ठेकेदार बताते हुए कहा कि वे समाज के लिए खतरा और सांप्रदायिक अपराधी हैं।

भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी ने इस मामले को घिनौना और संविधान-विरोधी बताते हुए सरकार से कार्रवाई की मांग की है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 153A के अनुसार, धार्मिक आधार पर वैमनस्य फैलाना दंडनीय अपराध है। इस मामले में मोहम्मद हनीफ को केवल मुस्लिम होने के कारण अपमानित किया गया, जो सांप्रदायिक हिंसा की श्रेणी में आता है।

इस घटना ने फिर से यह प्रश्न खड़ा किया है कि क्या भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सम्मान और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा रहा है?

हम भारत के लोग और United Against Hate जैसे संगठन इस मामले में न्याय की मांग करते हुए सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं।

चंद्रशेखर आज़ाद का यह वीडियो पोस्ट भारत के संविधान, धार्मिक स्वतंत्रता और सह-अस्तित्व के मूल्यों की रक्षा की पुकार है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि धर्म का चोला ओढ़े लोग यदि समाज में ज़हर फैलाने लगें, तो यह न सिर्फ़ हमारे लोकतंत्र, बल्कि हमारी इंसानियत पर भी सबसे बड़ा हमला है।

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