मैनपुरी में दलित महिला को जूते में पेशाब पिलाने का वीभत्स अपराध, मानवता हुई शर्मसार!
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मैनपुरी जिले से एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। एक दलित महिला को यादव समुदाय के कुछ लोगों ने पहले बेरहमी से पीटा और फिर जूते में पेशाब भरकर जबरन पिलाया।

यह मामला तब सामने आया जब दीक्षा नामक एक महिला ने X (पूर्व ट्विटर) पर घटना का वीडियो पोस्ट किया। वीडियो में पीड़िता की दयनीय हालत दिखाई दे रही है और आरोपी हंसते हुए नजर आ रहे हैं।

दीक्षा ने अपनी पोस्ट में लिखा, मैनपुरी जिले में यादव समाज के लोगों ने दलित महिला को जूते में पेशाब पिलाई। यह जातिवादी मानसिकता को दर्शाता है। मैं प्रशासन से मांग करती हूं कि ऐसे जातिवादी गुंडों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

यह पोस्ट वायरल हो गई और #JusticeForDalitWoman और #MainpuriCasteViolence जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

सूत्रों के अनुसार, घटना किशनी थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई। पीड़िता एक विधवा है जो मनरेगा में काम करती है। उसका अपराध सिर्फ इतना था कि उसने सार्वजनिक हैंडपंप से पानी भरने की कोशिश की, जिस पर यादव समुदाय का कथित वर्चस्व है।

पीड़िता का कहना है कि आरोपियों ने उसे पीटना शुरू कर दिया और कहा, तू हमारी जात की नहीं है, हमारे कुएं से पानी क्यों भरा? इसके बाद उसे जमीन पर गिराकर एक आरोपी ने जूते में पेशाब भरकर पिलाने की कोशिश की।

अत्याचार के कई दिन बीत जाने के बावजूद, प्रशासन ने अभी तक किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है। FIR तो दर्ज की गई, लेकिन IPC की हल्की धाराओं में, जिससे आरोपियों को आसानी से जमानत मिल सके।

MainpuriCasteViolence को लेकर जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने अभी तक कोई बयान नहीं दिया है।

भीम आर्मी, अंबेडकर महासभा और अन्य दलित संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी और SC/ST एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष ने चेतावनी दी है कि यदि 48 घंटे में आरोपी गिरफ्तार नहीं होते हैं, तो जिले भर में चक्का जाम होगा और कलेक्ट्रेट का घेराव किया जाएगा।

MainpuriCasteViolence जैसे मामलों से स्पष्ट है कि सामाजिक समानता की बातें केवल किताबों तक सीमित हैं। आज भी ग्रामीण भारत में जाति के नाम पर अपमान, हिंसा और बहिष्कार आम बात है।

दलित महिला पर अत्याचार न सिर्फ जातीय बल्कि लैंगिक उत्पीड़न भी है।

SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत ऐसी घटनाएं गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आती हैं।

ऐसी घटनाओं में IPC 354 (महिला का अपमान), IPC 323, 504, 506 (मारपीट और धमकी) और SC/ST Act Section 3(1)(r)(s) (जातिसूचक गाली और अपमान), Section 3(2)(va) (शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न) के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।

MainpuriCasteViolence से सबक लेते हुए, प्रशासन को फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाना चाहिए, पीड़िता को आर्थिक सहायता और कानूनी संरक्षण देना चाहिए, और गांवों में जातिवाद के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

जब तक समाज में जातीय श्रेष्ठता का जहर है, तब तक MainpuriCasteViolence जैसी घटनाएं रुकना मुश्किल है। जरूरी है कि शिक्षा, संवाद और कानून के माध्यम से इस मानसिकता को जड़ से मिटाया जाए।

MainpuriCasteViolence सिर्फ एक घटना नहीं, यह भारत के सामाजिक ताने-बाने और संविधान में लिखे समानता के सिद्धांत पर हमला है।

जब तक आरोपियों को सजा नहीं मिलेगी, तब तक इस देश में दलित समाज अपने को सुरक्षित नहीं समझ पाएगा। अब वक्त है कि कानून सिर्फ किताबों में नहीं, जमीनी स्तर पर भी न्याय दिलाने वाला साबित हो।

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