दिल्ली के मालवीय नगर स्थित बाबा का ढाबा एक बार फिर सुर्खियों में है। 80 वर्षीय कांता प्रसाद उर्फ़ बाबा, हाफ प्लेट वीडियो वायरल होने के बाद 2020 वाली लोकप्रियता को दोबारा महसूस कर रहे हैं।
वीडियो में एक फ़ूड व्लॉगर बाबा से कहता है कि उसके पास केवल 40 रुपये हैं, इसलिए वह आधी प्लेट खिलाने का अनुरोध करता है। बाबा जिस तरह से स्टील की प्लेट को सचमुच आधा काटकर आधी रोटी, आधी सब्ज़ी और आधे चावल परोसते हैं, वह दृश्य अप्रत्याशित है और कैमरे के सामने मौजूद सभी लोग ठहाका लगाने लगते हैं। यही हास्य और सादगी इस वीडियो को वायरल कर रही है।
महज़ 45 सेकंड का ये वीडियो मनोरंजन का साधन ही नहीं, सोशल मीडिया इकोनॉमी की कार्यप्रणाली पर भी प्रकाश डालता है। कंटेंट क्रिएटर्स छोटे-से-छोटे पलों को कैप्चर कर लाखों व्यूज़ बटोर रहे हैं। ब्रांड साझेदारियाँ और एड-रिवेन्यू का गणित वीडियो के ट्रेंडिंग लिस्ट में पहुंचने की गति पर निर्भर करता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सीमा अग्रवाल कहती हैं, ऐसे क्लिप हमें याद दिलाते हैं कि इंटरनेट पर मानव संवेदनाएँ अभी भी सर्वोच्च हैं। कहानी में प्रामाणिकता हो, तो उसका असर दीर्घकालिक होता है।
हालांकि कुछ दर्शकों ने सवाल उठाया है कि कहीं ये सब पहले से रचा गया तो नहीं। सोशल मीडिया पर #ScriptedContent ट्रेंड करने लगा। यूज़र्स वास्तविक और मंचित पलों के बीच अंतर पर बहस कर रहे हैं।
स्ट्रीट-फूड ब्लॉगर भावना कश्यप का कहना है, अगर ये वीडियो स्क्रिप्टेड भी होता, तो भी लोगों की दिलचस्पी घटती नहीं, क्योंकि यह भारतीय हास्यबोध और सादगी को दर्शाता है। लेकिन पारदर्शिता ज़रूरी है।
2020 के लॉकडाउन में बाबा का ढाबा का पहला वीडियो वायरल हुआ था, तब बाबा आँसू बहाते दिखे थे। उस वीडियो से लाखों रुपये की मदद जुटी थी। हाफ प्लेट वीडियो उसी कहानी का दूसरा अध्याय है - इस बार दुख नहीं, बल्कि हास्य के ज़रिए।
बाबा को अब फिर से कई स्थानीय ग्राहक और ऑनलाइन ऑर्डर प्लेटफॉर्म्स के प्रस्ताव मिल रहे हैं। फ़ूड-डिलिवरी एप्स भी इस लोकप्रियता को भुनाने के लिए बाबा का कॉम्बो जैसी योजनाएँ बना रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर ये रुझान जारी रहा, तो बाबा के दैनिक ग्राहक-संख्या में 30-40 फीसदी बढ़ोतरी संभव है।
व्लॉगर, इंस्टाग्राम रील मेकर और यूट्यूबर-सभी ने वीडियो को री-पोस्ट किया, स्लो-मो क्लीप्स बनाए, और एनिमेटेड री-एन्मैक्टमेंट भी किए। क्रिएटर्स के इस मल्टी-फॉर्मैट अटैक ने ट्रेंड को और तेज़ी से फैलाया।
एक वर्ग इसे ब्रांड-ड्रिवन स्टंट मानता है, लेकिन बाबा ने स्थानीय रिपोर्टरों से कहा, मेरी प्लेट और मेरी मेहनत असली है, बाकी सब लोग क्या कहते हैं, वह उनकी मर्ज़ी।
बाबा का ढाबा की कहानी दिखाती है कि छोटे-स्तर के उद्यमी भी डिजिटल दुनिया में स्थान बना सकते हैं, बशर्ते कहानी में मानवीयता हो। विशेषज्ञ स्टॉल और ढाबा संचालकों को सोशल मीडिया कौशल सिखाने की सलाह देते हैं।
बाबा ने घोषणा की है कि वह जल्द ही आधी प्लेट थाली नाम से एक विशेष मेन्यू जोड़ेंगे, जिसकी कीमत 45 रुपये होगी।
मीम-कलाकारों ने आधी रोटी, अधूरी कहानी नहीं जैसे कैप्शन बनाकर इंटरनेट पन्नों को रंग दिया है। एजेंसियां इसे ऑर्गेनिक मीम बेन्चमार्क बता रही हैं, जिससे तीन दिन में ही 50 मिलियन व्यूज़ पार हुए।
हाफ प्लेट वीडियो ने साबित किया कि सरल कहानियाँ भी गहरी छाप छोड़ सकती हैं। हास्य, मानवीयता और वास्तविकता का संगम छोटे कारोबारियों को जीवनदान देता है। बाबा का ढाबा की नई लोकप्रियता हमें याद दिलाती है कि इंटरनेट की भीड़ में असली कनेक्शन आज भी संभव है - बस ज़रूरत है एक Half Plate Video की।
बाबा के ढाबा की HALF प्लेट
— Nehra Ji (@nehraji77) July 15, 2025
कही देखि है ऐसी हाफ -प्लेट ?? pic.twitter.com/hqhSX4STxe
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