सूरत में सनसनी: मावा लेने भेजा, खुद ट्रक के नीचे कूदा, CCTV में कैद मौत!
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सूरत के पूणागाम इलाके में एक युवक ने चलती ट्रक के नीचे कूदकर आत्महत्या कर ली। यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है। मृतक की पहचान 31 वर्षीय नीलेश वाघमाशी के रूप में हुई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

14 जुलाई की दोपहर खेतलापा चाय की दुकान के पास यह भयावह दृश्य कैमरे में कैद हुआ। नीलेश अपनी बहन और उनके ससुर के साथ निकले थे। लौटते समय पर्वत पाटिया पर बाइक रोककर उसने बहन के ससुर को मावा मसाला लेने भेजा और स्वयं सड़क किनारे खड़ा होकर किसी भारी वाहन का इंतज़ार करने लगा। कुछ ही पलों में तेज़ रफ़्तार ट्रक आया और नीलेश सीधे उसके पिछले टायर के नीचे कूद गया।

स्थानीय लोगों ने तत्काल नीलेश को स्मीमेर अस्पताल पहुँचाया, मगर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना के बाद सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गया है।

पुलिस का मानना है कि यह इरादतन आत्महत्या है। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि नीलेश जानबूझकर ट्रक के नीचे कूदा। फोरेंसिक विशेषज्ञों ने भी वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि की है। पुलिस नीलेश के मोबाइल फोन से डिलीट हुए संदेशों और कॉल रिकॉर्ड की भी जांच कर रही है, ताकि आत्महत्या के कारण का पता चल सके।

नीलेश अमरेली जिले के सावरकुंडला तालुका के वडली गांव के निवासी थे। वह कुछ सालों से पूणागाम की सीतानगर सोसायटी में रह रहे थे। वह दो भाई-बहनों में बड़ा था और कपड़ा फैक्ट्री में नौकरी करता था। COVID-19 के बाद उसकी आय कम हो गई थी और बहन की शादी पर लिया कर्ज भी था।

पड़ोसियों के अनुसार नीलेश शांत स्वभाव का था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से उसे अक्सर अकेले बैठे और मोबाइल में डूबे देखा गया था। परिवार को अंदेशा है कि आर्थिक दबाव और मानसिक तनाव के चलते उसने यह कदम उठाया।

विशेषज्ञों का मानना है कि सूरत जैसे औद्योगिक शहर में प्रवासी कामगारों के सामने रोजगार असुरक्षा, महंगाई और ऋण जैसी समस्याएं आम हैं। इस घटना से यह चेतावनी मिलती है कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना जरूरी है।

पूणागाम पुलिस ने धारा 174 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस यह जांच कर रही है कि नीलेश ने मरने से पहले किसे कॉल या मैसेज किया था, उसके बैंक खातों में कोई हालिया बड़ा ट्रांजेक्शन हुआ था या नहीं, और क्या उसे कोई धमकी या ब्लैकमेल कर रहा था।

मनोचिकित्सक डॉ. अंकिता पटेल का कहना है कि ऐसे मामलों में अक्सर व्यक्ति लंबे समय से भीतर-ही-भीतर टूटता रहता है। यदि शुरुआती संकेतों को गंभीरता से लिया जाता तो शायद यह घटना टाली जा सकती थी।

सूरत में पिछले तीन वर्षों में आत्महत्या दर में लगभग 15 फीसदी की वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अस्थायी मजदूरी, महंगी स्वास्थ्य सेवाएं और बढ़ता लोन बोझ इसके मुख्य कारण हैं। समाजशास्त्रियों ने आगाह किया है कि यह घटना शहर के लिए एक wake-up call होनी चाहिए। रोजगार सुरक्षा, सस्ती काउंसेलिंग और सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा देना जरूरी है।

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