ट्रंप की हवाबाजी का गुब्बारा फूटा, दुनिया में फजीहत!
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सीरिया में अल्पसंख्यक DRUZE मुसलमानों को कट्टरपंथियों और सीरियाई फौज से बचाने के लिए इजरायली वायुसेना ने सीरियाई सेना के हेडक्वार्टर पर बम बरसा दिए थे.

बमबारी के चौबीस घंटों बाद डॉनल्ड ट्रंप के दफ्तर से बयान आया कि अमेरिका ने जो युद्धविराम प्रस्ताव दिया है, उस पर इजरायल और सीरिया सहमत हो गए हैं.

लेकिन क्या वाकई ट्रंप इजरायल और सीरिया के बीच सहमति बना पाए? सीरिया के सीमावर्ती प्रांत स्वेदा में हो रही हलचल से पता चलता है कि ऐसा नहीं है.

सीरिया के राष्ट्रपति और ट्रंप के दोस्त कहे जाने वाले अहमद-अल-शारा ने दोबारा विवादित क्षेत्र की तरफ अपनी फौज भेज दी है. वहीं इजरायली फौज ने स्वेदा में अपनी सीमा खोल दी है और DRUZE मुसलमानों की मदद कर रही है.

शारा का कहना है कि उन्होंने अमेरिका की अनुमति के बाद फौज भेजी है, जबकि इजरायल का दावा है कि जब तक DRUZE मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती, तब तक इजरायली सेना आगामी सैन्य अभियानों के लिए तैयार रहेगी.

सीरिया और इजरायल ने ट्रंप को बता दिया है कि भले ही वो युद्धविराम का क्रेडिट ले रहे हों, लेकिन हकीकत में दोनों देश अपनी नीतियों के हिसाब से ही फैसले ले रहे हैं.

ब्रिटिश खुफिया एजेंसी MI-6 के एक पूर्व निदेशक ने DRUZE मुसलमानों के क्षेत्र स्वेदा को लेकर इजरायली नीति पर एक आकलन सामने रखा है.

सीरिया में दमिश्क, एलेप्पो, होम्स और हामा जैसे बड़े शहरों और इलाकों पर अहमद-अल-शारा के आतंकियों का कब्जा है. सीरिया के उत्तर पूर्व में कुर्द विद्रोहियों का दबदबा है और समंदर किनारे बसे इलाकों पर असद समर्थक एलेवाइट्स का प्रभाव है.

इजरायल चाहता है कि सीरिया के पश्चिमी हिस्सों पर DRUZE मुसलमानों की मिलिशिया का कब्जा हो जाए ताकि सीरिया के एक हिस्से में इजरायल का भी प्रभाव लंबे वक्त तक बना रहे.

सीरिया में इजरायल समर्थित गुटों की वजह से नेतन्याहू को दो फायदे होंगे: वो अहमद-अल-शारा के इजरायल विरोधी आतंकियों को सीमा से दूर रख पाएंगे और हिज्बुल्ला जैसे गुट सीरिया में इजरायल विरोधी साजिशें नहीं कर पाएंगे.

लेकिन नेतन्याहू के इस दांव ने ट्रंप की अरब नीति को चारों खाने चित कर दिया है.

असद सरकार के तख्तापलट के बाद सीरिया में रूस का दखल खत्म हो गया था. ट्रंप चाहते थे कि रूस की जगह अमेरिका सीरिया में प्रभाव बढ़ाए. असद के तख्तापलट से सीरिया में ईरान के लिए समर्थन खत्म हो गया था. ट्रंप का प्लान था कि वो शारा के आतंकियों का इस्तेमाल कर मिडिल ईस्ट में ईरान के प्रॉक्सी गुटों को नुकसान पहुंचाएं.

इसी वजह से ट्रंप ने शारा से हाथ मिलाया था और उन्हें सीरिया में काबिज आतंकियों से प्रतिबंध हटाने का भरोसा दिया था. जब ट्रंप सीरिया से लौटे थे, तो उन्होंने शारा को हैंडसम तक करार दे दिया था.

स्वेदा में आतंकियों को दोबारा भेजकर शारा ने साबित कर दिया कि वो ट्रंप के साथ डील करेंगे, लेकिन उनके हुक्म की तामील नहीं करेंगे.

स्वेदा में इजरायली फौज की कार्रवाई और कथित युद्धविराम के साथ शर्तें जोड़ना यह बताता है कि सीरिया के मुद्दे पर इजरायल उस नीति का पालन नहीं करेगा, जो ट्रंप चाहते हैं.

इन्हीं हालातों की वजह से ट्रंप की कथित पावर और रुतबे की किरकिरी हो रही है, और कहा जा रहा है कि कौन हैं ये ट्रंप और काहे का वो युद्धविराम जिस पर ट्रंप गुरूर कर रहे थे.

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