उड़ान भरने के बाद क्या हुआ? अहमदाबाद प्लेन क्रैश के आखिरी लम्हों का खुलासा
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अहमदाबाद में एयर इंडिया का प्लेन क्यों क्रैश हुआ? टेक ऑफ के तुरंत बाद ऐसी क्या दिक्कत आई कि विमान कुछ ही सेकंड में आग के गोले में बदल गया? क्या यह हादसा तकनीकी खराबी की वजह से हुआ या इसके पीछे कोई और कारण था?

अहमदाबाद विमान हादसे से जुड़े सवालों की सूची लंबी है. हर कोई इन सवालों के जवाब जानना चाहता है. आधिकारिक जवाब जांच के बाद ही मिल पाएगा, जिसमें अभी समय लग सकता है. हालांकि, क्रैश साइट से ब्लैक बॉक्स मिल चुका है, जिससे जांच की गति तेज होने की उम्मीद है.

एक ट्रेंड कमर्शियल पायलट पुष्कर सैलार ने विमान के उड़ान भरने से जुड़े तकनीकी पहलुओं को समझाया है.

टेकऑफ से पहले क्या-क्या देखा जाता है?

पायलट पुष्कर ने बताया कि टेकऑफ से पहले चेकलिस्ट का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें कई आइटम होते हैं. फ्लैप्स, जो विंग का हिस्सा होता है, का स्विच कॉकपिट में पायलट के सामने होता है. इन सभी चीजों को चेक करने के बाद क्लीयरेंस मिलता है, जिसके बाद टेक ऑफ शुरू किया जाता है. फ्लैप्स की सेटिंग मौसम पर भी निर्भर करती है.

MAY DAY कॉल क्या है और इसके बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोलर क्या मदद करता है?

पायलट पुष्कर ने बताया कि MAY DAY कॉल का मतलब है कि आप बहुत बड़ी इमरजेंसी में हैं. विमान उड़ान के समय पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के संपर्क में रहता है. कॉकपिट में MAY DAY कॉल का एक स्विच होता है. इस स्विच को दबाते ही रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को बताया जाता है कि हम किस तरह की इमरजेंसी में हैं और हमें क्या मदद चाहिए. MAY DAY कॉल मिलते ही एयर ट्रैफिक कंट्रोलर उड़ान भर रहे अन्य विमानों को डायवर्ट कर देता है और MAY DAY कॉल वाले विमान को हाई प्रायोरिटी देता है.

कॉकपिट में मौजूद स्क्रीन का क्या काम होता है?

कॉकपिट में मौजूद सभी स्क्रीन पर प्लेन से जुड़ी हर जानकारी पायलट और को-पायलट को मिलती है. सभी तरह की वार्निंग भी इसी स्क्रीन पर दिखाई देती हैं. हर इमरजेंसी के लिए अलग-अलग चेकलिस्ट बनी होती है, जिसे पायलट को फॉलो करना होता है.

अहमदाबाद में क्रैश हुए एयर इंडिया के विमान के साथ क्या हुआ होगा?

पायलट पुष्कर का मानना है कि इस विमान के पायलट ने भी सारी चीजें की होंगी, लेकिन शायद उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिला होगा. प्लेन हादसे से जुड़ा जो CCTV वीडियो सामने आया है, उसमें दिख रहा है कि उड़ान भरने के मात्र 50 सेकंड बाद ही प्लेन क्रैश कर जाता है.

बोइंग 787 का कॉकपिट कैसा दिखता है?

बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को सबसे आधुनिक विमान माना जाता है. यह 2011 में लॉन्च हुआ था और दुनिया भर में यात्री विमानों में इसका इस्तेमाल होता है. भारत में 33 बोइंग 787 हैं, जिनमें से 30 एयर इंडिया के पास हैं. कॉकपिट में बैठे पायलट को 270 डिग्री का व्यू देखने को मिलता है, सिर्फ पीछे का 90 डिग्री पार्ट वो नहीं देख पाते.

क्रैश के बाद ब्लैक बॉक्स की तलाश क्यों जरूरी है?

अहमदाबाद क्रैश हुए एयर इंडिया विमान का ब्लैक बॉक्स मिल चुका है. ब्लैक बॉक्स में कॉकपिट में पायलट और को-पायलट के बीच की बातचीत, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से बातचीत की पूरी रिकॉर्डिंग होती है. साथ ही उस दौरान कॉकपिट में क्या कुछ हुआ होगा, उसकी सीसीटीवी फुटेज भी होती है.

ब्लैक बॉक्स की खासियतें

ब्लैक बॉक्स मजबूत धातु टाइटेनियम से बना होता है. यह आग और पानी में भी सुरक्षित रहता है. गहरे पानी में 30 दिन तक यह सुरक्षित रह सकता है और 1100 डिग्री तापमान में भी यह सुरक्षित रहता है. इसे तलाशने में समय जरूर लगता है, लेकिन एक बार मिलने के बाद प्लेन की रफ्तार, ऊंचाई, फ्लाइट रूट की जानकारी और पायलट के फैसलों की जानकारी मिलती है.

बोइंग 787 विमान के फीचर्स

बोइंग के 787 विमान के 15 साल के इतिहास में यह पहला क्रैश है. यह मिड-साइज, ट्विन-इंजन, वाइड-बॉडी जेट है, जो लंबी दूरी की उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया है. ये एक बार में 14,000 किमी तक उड़ सकता है और 200-250 यात्रियों को ले जा सकता है.

अहमदाबाद प्लेन क्रैश: एविएशन एक्सपर्ट ने बताया आखिरी लम्हों में क्या हुआ होगा?

एयर इंडिया के रिटायर कैप्टन राकेश राय पिछले साल ही रिटायर हुए हैं और बोइंग 787 ड्रीमलाइनर उड़ा रहे थे. उन्होंने कॉकपिट की कहानी के साथ-साथ इस हादसे पर भी बात की.

राकेश राय ने बताया कि बाएं तरफ की सीट पर पायलट बैठते हैं, जिन्हें पायलट इन कमांड बोलते हैं, और दाहिने तरफ की सीट पर को-पायलट बैठते हैं. इन दोनों की ड्यूटी अलग-अलग होती है. कॉकपिट के योक का काम कार की स्टेयरिंग जैसा होता है.

600 फीट की ऊंचाई पर जाने के बाद प्लेन के साथ कुछ हुआ होगा

एयर इंडिया के प्लेन क्रैश का CCTV वीडियो दिखाते हुए रिटायर कैप्टन राकेश राय ने कहा कि टेकऑफ रॉल को देखकर लगता है कि यह एक नॉर्मल टेकऑफ है. सीसीटीवी वीडियो देखकर लगता है कि कोई तकनीकी दिक्कत नहीं थी. जो कुछ भी हुआ है, वो 600 फीट की ऊंचाई तक जाने के बाद ही हुआ है. जहाज नीचे आने लगा है.

रिटायर कैप्टन राकेश राय ने विमान हादसे से जुड़े कारणों को बताया

रिटायर कैप्टन राकेश राय ने आगे कहा कि इस हादसे में प्रश्न यह है कि जहाज के जो अंडर कैजुअल चक्के हैं, वो हमेशा नीचे रहे हैं. इसे समझाते हुए उन्होंने बताया कि टेकऑफ रोल पर एक स्पीड होती है, जिसे VR (Velocity Rotation) बोलते हैं. यह वो स्पीड है, जिस स्पीड पर हम जहाज के नोज को ऊपर उठाने की कोशिश करते हैं.

पॉजिटिव रेट और गियर अप क्या होता है?

उन्होंने आगे बताया कि जैसे ही हम नोज को ऊपर ले जाने की कोशिश करते हैं, पायलट मॉनिटरिंग एक कॉल देता है - पॉजिटिव रेट, मतलब कि हम ऊपर उठ रहे हैं. फिर पायलट फ्लाइंग भी इसे चेक करता है और कहता है - गियर अप. यह सारी चीजें 50 फीट की ऊंचाई तक जाते-जाते हो जाता है, लेकिन इस विमान का अंडर कैरेज 600 फीट तक नीचे रहा है. यह एक प्रश्न है.

कैप्टन राकेश राय ने हादसे से जुड़ी दो बड़ी आशंकाएं क्या जताई

अंडर कैरेज के नीचे रहने के संभावित कारणों पर रिटायर कैप्टन राकेश राय ने बताया कि इसके कई कारण हो सकते हैं. या तो कोई बर्ड हिट हुआ है, जिसके बाद लस्ट ऑफ थ्रस्ट हुआ है और उस कंफ्यूजन में ये गियर ऊपर करना भूल गए हों. एक संभावना यह है. उस केस में जब तक ये रियलाइज करेंगे कि गियर मेरा ऊपर नहीं गया है और इंजन फेल कर गया है, तब उस केस में एयरक्रॉफ्ट उड़ नहीं सकेगा. वो धीरे-धीरे फिर नीचे आने लगेगा, जो इस तस्वीर में दिख रहा है क्योंकि लैंडिंग गियर स्पीड ब्रेक का भी काम करता है.

दूसरी संभावना यह भी हो सकती है कि जो पायलट मॉनिटरिंग है, उसने गलती से अंडर कैरेज ऊपर करने के बदले फ्लेप्स ऊपर कर दिया होगा. रिटायर कैप्टन राकेश राय ने कहा कि यह ह्यूमन एरर की थ्योरी है. उन्होंने यह भी कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि यही हुआ होगा, यह हो सकता है इसकी थ्योरी है. उन्होंने यह भी बताया कि फ्लेप ऊपर करने के बाद सडेन लॉस ऑफ थ्रस्ट होगा.

अहमदाबाद प्लेन क्रैश... बोइंग ड्रीमलाइनर के सभी विमानों की होगी जांच, DGCA का बड़ा फैसला. अहमदाबाद में बड़ा विमान हादसा.

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