क्या ट्रंप भरोसे के लायक हैं? जयशंकर के जवाब पर छिड़ी बहस
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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक यूरोपीय अख़बार को दिए साक्षात्कार में एक सवाल ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. सवाल था, क्या आप डोनाल्ड ट्रंप पर भरोसा करते हैं? इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने जो कहा, उसे लेकर अब चर्चा हो रही है.

दरअसल, ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए कई ऐसे बयान आए थे जिन्हें भारत के लिए असहज माना गया. इनमें भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष को रुकवाने में अमेरिका की भूमिका वाला बयान भी शामिल था, जिसे लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था.

यूरोपीय अख़बार ने जयशंकर से पूछा कि क्या ट्रंप जो कहते हैं उस पर डटे रहते हैं और क्या वह ऐसे पार्टनर हैं जिनके साथ भारत अपने रिश्ते और गहरा करना चाहेगा.

जयशंकर ने जवाब में कहा, कही गई बात को मैं उसी तरह लेता हूं. हर उस रिश्ते को आगे बढ़ाना हमारा लक्ष्य है, जो हमारे हितों के अनुरूप हो और अमेरिका के साथ रिश्ता हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह किसी व्यक्ति एक्स या राष्ट्रपति वाई के बारे में नहीं है.

जयशंकर भारत और यूरोपीय संघ के बीच ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर वार्ता कर रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि दोनों पक्षों के बीच समझौते की संभावना है.

हाल ही में, जयशंकर ने यूरोपीय संघ के साथ रक्षा, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद निरोध, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और रक्षा उद्योग में सहयोग को गहरा करने पर बातचीत की थी.

ट्रंप ने जनवरी में दोबारा राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से टैरिफ़ को लेकर भारत पर निशाना साधा है और उन्हें टैरिफ़ किंग तक कह चुके हैं. इसके अलावा, भारतीय आप्रवासियों को डिपोर्ट करने और प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भी ट्रंप के बयानों पर विवाद हुआ था.

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया झड़प में ट्रंप ने सीज़फ़ायर की जानकारी सबसे पहले सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए दी थी और दोनों देशों के बीच संघर्षविराम कराने का श्रेय भी लिया था.

हालांकि, जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम सीधे बातचीत के बाद हुआ था और इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी.

ब्रसेल्स में एक संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने पाकिस्तान को टेररिस्तान भी कहा था और भारत की सैन्य कार्रवाई को आतंकवाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई बताया था.

उन्होंने कहा, यह दो देशों के बीच तनाव नहीं है बल्कि असल में यह आतंकवाद के ख़तरे और गतिविधियों के ख़िलाफ़ प्रतिक्रिया थी.

जयशंकर ने यह भी कहा कि दुनिया को यह समझना होगा कि यह सिर्फ भारत और पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है, बल्कि आतंकवाद का मामला है जो आख़िरकार लौट कर सबको सताएगा.

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