पिछले कुछ सालों में मेडिक्लेम रिजेक्शन की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जिससे बीमा धारकों में चिंता का माहौल है. एक सर्वे के अनुसार, पिछले 3 वर्षों में 50% से अधिक लोगों के बीमा क्लेम या तो रद्द कर दिए गए या उन्हें आधा-अधूरा भुगतान मिला.
बीमा पॉलिसी खरीदते समय कोई भी यह नहीं चाहता कि उसे इसका इस्तेमाल करना पड़े, लेकिन जब जरूरत पड़ती है और क्लेम का समय आता है, तो अक्सर उन्हें रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है.
लोकलसर्किल्स के एक सर्वे में 327 जिलों के 1 लाख से अधिक लोगों से प्रतिक्रियाएं प्राप्त की गईं. इस सर्वे के अनुसार, 33% लोगों को उनके मेडिकल बीमा क्लेम का कुछ हिस्सा ही मिला, जबकि 20% लोगों के क्लेम पूरी तरह से रिजेक्ट कर दिए गए. इसके अलावा, 10 में से 6 लोगों को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने में 6 से 48 घंटे की देरी हुई, क्योंकि बीमा कंपनियों से बिल पर अनुमति मिलने में समय लग रहा था. 10 में से 8 लोगों ने दावा किया कि बीमा कंपनियां जानबूझकर क्लेम देने में देरी करती हैं, ताकि पॉलिसीधारक थक कर कम क्लेम पर राजी हो जाएं.
Insurance Brokers Association of India की 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी कंपनी न्यू इंडिया इंश्योरेंस पॉलिसी संख्या और भुगतान की गई राशि के आधार पर सबसे आगे है. हालांकि, पॉलिसी संख्या के आधार पर इस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट 95% था और क्लेम के तौर पर दी गई राशि के आधार पर यह 98% से अधिक था. अन्य कंपनियों का क्लेम सेटलमेंट प्रदर्शन धीरे-धीरे कम होता जाता है, और कई कंपनियों का मेडिकल क्लेम सेटलमेंट 70% से भी कम है.
जहां बीमा कंपनियां क्लेम देने में पीछे हैं, वहीं वे बीमा प्रीमियम बढ़ाने में आगे हैं. IRDAI के अनुसार, पिछले 9 वर्षों में देश में मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम दोगुना से अधिक बढ़ चुका है. स्विट्जरलैंड की स्विस री इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य, कार और घर जैसे गैर-जीवन बीमा के प्रीमियम दुनिया के मुकाबले भारत में दोगुनी रफ्तार से बढ़ेंगे. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2025-26 में बीमा प्रीमियम 8% से अधिक की दर से बढ़ेंगे, जबकि पूरी दुनिया में औसत प्रीमियम बढ़ने की दर 4% रहने की संभावना है. हाल ही में IRDAI ने गाड़ी के थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का प्रीमियम 18% बढ़ाने का सुझाव दिया है, जबकि कुछ गाड़ियों की कैटेगरी में यह बढ़ोतरी 20% से 25% तक हो सकती है.
2021 में लोगों ने केवल मेडिकल इंश्योरेंस लेने में 63 हजार 700 करोड़ रुपये प्रीमियम के तौर पर खर्च किए. भारत में 57 करोड़ लोगों के पास मेडिकल इंश्योरेंस की सुविधा है, जिनमें से लगभग 12% लोगों ने निजी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से पॉलिसी खरीदी है. हालांकि, अधिकांश लोगों के पास सरकारी मेडिकल इंश्योरेंस की ही सुविधा है. अभी भी 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास कोई हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है.
मेडिकल इंश्योरेंस लेते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
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— Zee News (@ZeeNews) June 10, 2025
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