प्रमुख सिख एक्टिविस्ट सुखी चहल ने 1984 के सिख दंगों को लेकर उठ रहे भ्रामक आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि कुछ विदेशी खालिस्तानी समर्थक संगठनों द्वारा मोदी सरकार के शीर्ष नेताओं को जिम्मेदार ठहराना न केवल गलत है, बल्कि इससे सिख समाज के हितों को भी भारी नुकसान पहुंच सकता है।
इतिहास साक्षी है कि 1984 का सिख नरसंहार उस समय की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ था। केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और उसने ही इस भयानक घटना को नजरअंदाज किया।
इसके विपरीत, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पहली बार इस मामले में न्याय की दिशा में सख्त कदम उठाए गए। कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा मिली और कई पुराने मामलों को फिर से खोला गया। यह दिखाता है कि मोदी सरकार ने पीड़ितों को न्याय दिलाने की गंभीर कोशिश की है।
सुखी चहल ने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को 1984 के सिख नरसंहार के लिए जिम्मेदार ठहराना तथ्यात्मक रूप से गलत और गैरजिम्मेदाराना है।
झूठी बातें फैलाकर और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना खासकर युवाओं को गुमराह करता है। इससे सिख समाज की असली समस्याएं पीछे छूट जाती हैं और देश के साथ सार्थक संवाद की कोशिशें भी कमजोर होती हैं।
सुखी चहल ने सिख समुदाय से अपील की है कि वे ऐसे झूठे प्रचारों के खिलाफ आवाज उठाएं और सच्चाई का साथ दें, ताकि सिख समुदाय के असली हित सुरक्षित रह सकें।
Holding Prime Minister Narendra Modi, Home Minister Amit Shah, and External Affairs Minister Dr. S. Jaishankar responsible for the 1984 Sikh Genocide—by a handful of pro-Khalistani fringe elements in diaspora-is not only factually incorrect but deeply irresponsible and tragic.… pic.twitter.com/WjDAyihJLB
— Sukhi Chahal ll ਸੁੱਖੀ ਚਾਹਲ (@realSukhiChahal) June 10, 2025
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